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Odisha Train Accident Interlocking System : ओडिशा के बालासोर रेल हादसे को लेकर टॉप लेवल के अधिकारियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह रेल हादसा बड़ी प्लानिंग के साथ किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह महज हादसा नहीं है। इसके इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है। इसके चलते ही इतना बड़ा हादसा हुआ है।
रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में रविवार को एक तरह से चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया तथा संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के ‘असल कारण’ का पता लगा लिया गया है और इसके लिए जिम्मेदार ‘अपराधियों’ की पहचान कर ली गई है। बालासोर जिले में दुर्घटनास्थल पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह (हादसा)इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण हुआ।’
Railway Interlocking System : यहां दिल्ली में रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि ‘प्वाइंट मशीन’ और इंटरलॉकिंग प्रणाली कैसे काम करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रणाली ‘त्रुटि रहित’ और ‘विफलता में भी सुरक्षित’’ (फेल सेफ) है। अधिकरियों ने बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया। रेलवे बोर्ड की परिचालन और व्यवसाय विकास मामलों की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा, ‘‘इसे ‘फेल सेफ’ प्रणाली कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि अगर यह फेल भी हो जाए तो सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे और ट्रेन का सारा परिचालन बंद हो जाएगा। अब, जैसा कि मंत्री ने कहा कि सिग्नल प्रणाली में समस्या थी। हो सकता है कि किसी ने बिना केबल देखे कुछ खुदाई की हो। किसी भी मशीन के चलाने में विफलता का खतरा होता है।’’ इस संबंध में रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई)आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के ‘लॉजिक’ के साथ इस तरह की छेड़छाड़ केवल ‘जानबूझकर’ हो सकती है। उन्होंने प्रणाली में किसी खराबी की संभावना को खारिज किया।
अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘यह अंदर या बाहर से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ का मामला हो सकता है। हमने किसी भी चीज से इनकार नहीं किया है।’ रेल मंत्री वैष्णव ने यह भी कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट का इंतजार है। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस तथा एक मालगाड़ी से जुड़ा यह भीषण हादसा शुक्रवार शाम लगभग सात बजे हुआ जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने रविवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस के चालक को भी यह कहकर क्लीन चिट दे दी कि उसके पास आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी थी और वह अनुमत गति से अधिक रफ्तार में ट्रेन को नहीं चला रहा था।
हादसे से संबंधित एक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन पर लूप लाइन में प्रवेश कर गई जिस पर लौह अयस्क से लदी एक मालगाड़ी खड़ी थी। इस रिपोर्ट की एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध है। इसमें छेड़छाड़ किए जाने की संभावना के संकेत के साथ उल्लेख किया गया कि सिग्नल ‘‘दिया गया था और ट्रेन संख्या 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) को अप मेन लाइन के लिए रवाना किया गया था, लेकिन ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लूपलाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई तथा पटरी से उतर गई। इस बीच, ट्रेन संख्या 12864 (बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस) डाउन मेन लाइन से गुजरी और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए तथा पलट गए।’’