मानवाधिकार पर ज्ञान दे रहा था अमेरिका, भारत ने कर दी बोलती बंद

America was giving knowledge on human rights, India stopped speaking
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नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी मानवाधिकार रिपोर्ट को भारत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भारत ने इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण वाला बताया है। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार इसे कोई महत्व नहीं देती है। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसी रिपोर्ट से भारत की छवि खराब की जा रही है। बता दें रिपोर्ट में मई 2023 में जातीय संघर्ष के फैलने के बाद मणिपुर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, बीबीसी पर कर अधिकारियों द्वारा छापे और कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जैसे अंतरराष्ट्रीय दमन के मामलों पर प्रकाश डाला गया है। इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट की मानें तो जब अमेरिकी मानवाधिकार रिपोर्ट के बारे में विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने जवाब दिया, “यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत की छवि को खराब करने वाला है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं।”

रिपोर्ट में मणिपुर हिंसा को लेकर भारत को घेरा
अमेरिकी मानवाधिकार रिपोर्ट में बताया गया है कि मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष के कारण मणिपुर में कम से कम 175 लोग मारे गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए। मई 2023 में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा मौतेई को एसटी श्रेणी में शामिल करने के विरोध में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित करने के बाद हिंसा भड़क उठी ।

रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय कराधान और स्थानांतरण मूल्य निर्धारण अनियमितताओं के आरोपों पर यूके स्थित ब्रॉडकास्टर- बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों में आयकर विभाग द्वारा की गई खोजों का भी उल्लेख किया गया है। यह तलाशी ब्रिटिश प्रसारक द्वारा 2002 के गुजरात दंगों पर ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से एक डॉक्यूमेंट्री जारी करने के कुछ सप्ताह बाद की गई थी।

भारत को मानवाधिकार पर ज्ञान दे रहा था अमेरिका
मानवाधिकार रिपोर्ट में कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का भी उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि यह राज्य एजेंटों द्वारा न्यायेतर कार्रवाइयों के पैटर्न का संकेत देता है। रिपोर्ट जारी होने के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ ब्यूरो अधिकारी रॉबर्ट गिलक्रिस्ट ने भारत से अपनी मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने का आग्रह किया था।