भीषण गर्मी के बीच मानसून को लेकर बड़ा अपडेट, इन राज्यों में होगी जमकर बारिश

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नई दिल्ली। इस साल भारत में सामान्य मानसून की उम्मीद है। मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के अनुसार वर्ष 2024 में मानसूनी वर्षा जून से सितंबर तक चार महीने होगी जिसमें 102 प्रतिशत बरसात होने की संभावना है।

स्काईमेट ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में भारत के कृषि क्षेत्र के लिए खुशखबरी देते हुए कहा कि पिछले साल की तरह इस बार मानसून अनियमित नहीं होगा। जून से सितंबर तक की अवधि में 868.6 मिमी बारिश होनी तय है। मासिक आधार पर मानसूनी बारिश पहले महीने जून में तकरीबन 95 प्रतिशत होगी। जबकि जुलाई में 105, अगस्त में 98 और सितंबर में 110 प्रतिशत होगी।

अच्छी बारिश होने की उम्मीद
मौसम की भविष्यवाणी करते हुए निजी एजेंसी ने कहा कि देश के दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में पर्याप्त रूप से अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। देश में पश्चिमी और मध्य हिस्से में सामान्य से अधिक बारिश होगी जबकि पूर्वोत्तर भारत और पूर्वी हिस्से में सामान्य से कम बारिश होगी।

मानसून के जो कोर क्षेत्र हैं, जैसे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पर्याप्त बारिश होगी। हालांकि बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में सर्वाधिक बारिश वाले मानसूनी महीनों में अपेक्षाकृत कम बारिश होने का खतरा है। जबकि आधे मानसून में पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है। जबकि केरल, कोंकण, कर्नाटक और गोवा में सामान्य से अधिक बारिश होगी जबकि मध्य भारत में सामान्य वर्षा होगी।

ला नीना के सालों में मानसून का प्रसार
स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने बताया कि भारत का आधा कृषि क्षेत्र सिंचाई से वंचित रहता है और अच्छी फसल के लिए पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर निर्भर रहता है। अच्छे मानसून से देश के जलाशयों का भरना भी सुनिश्चित होता है, जिसे बाद में भी उपयोग में लाया जाता है। उन्होंने बताया कि अलनीनो धीरे-धीरे सशक्त ला नीना से बदल रहा है। ला नीना के सालों में मानसून का प्रसार जोर पकड़ता है।

मार्च का तापमान अब तक का सबसे गर्म
अल नीनो और प्रदूषण के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग के मिले-जुले असर के चलते 2024 में मार्च का महीने अब तक का सबसे गर्म रहा है। यूरोपीय संघ की मौसम एजेंसी ने बताया कि पिछले साल जून से लेकर इस साल मार्च तक लगातार दस महीने रिकार्ड तापमान दर्ज किया गया है।

द कोपरनिकल क्लाइमेटचेंज एजेंसी (सी3एस) के अनुसार इस साल मार्च के महीने में औसत तापमान 14.14 डिग्री सेल्सियस रहा जो औद्योगिक काल शुरू होने से पहले यानी 1850-1900 के मुकाबले 1.68 डिग्री सेल्सियस अधिक है। 1991-2020 के बीच मार्च में औसत तापमान 0.73 डिग्री सेल्सियस बढ़ा। जबकि 2016 में मार्च का औसत तापमान सामान्य से 0.10 डिग्री सेल्सियस अधिक हुआ था।