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करनाल। हरियाणा के करनाल स्थित गांव बाहरी में जोहड़ की खोदाई में निकली बड़े साइज की ईंट करीब 1200 साल पुरानी हो सकती हैं। इतिहासकार व पुरातात्विक महत्व पर पकड़ रखने वाले विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जिस आकार की ये ईंट हैं, ठीक उसी तरह की ईंटों का उपयोग करीब 1200 साल पहले होता था।
सवाल यह है कि आखिर गांव में जिस जगह जोहड़ हैं, वहां इन ईंटों का उपयोग किस निर्माण में किया गया होगा क्योंकि खोदाई बंद होने के बाद भी वहां काफी ईंटें अंदर तक दिखाई दे रही हैं। ईंटें निकलने के साथ ही तालाब में उस जगह खोदाई बंद कर दी गई थीं। पुरातत्व विभाग की टीम ने भी खोदाई स्थल का दौैरा किया है। अब ईंटों की जांच के बाद ही पता चलेगा कि ये कितनी पुरानी हैं? इनका क्या पुरात्वाविक महत्व है? विभागीय जांच में ईंट ज्यादा पुरानी निकलने पर यहां पुरातत्वविद खोदाई कराएंगे। इससे पता चल सकेगा कि यहां किस काल की संस्कृति विकसित हुई थी।
जोहड़ से जिस जगह निकली ईंटें, वहां खोदाई का काम बंद
ईंटें देखने आ रहे ग्रामीण ईंटें देखने आसपास के गांव से भी लोग पहुंच रहे है। जो भी पहुंच रहा है वह इसे प्राचीन समय से जोड़कर देख रहा है। इसी सूचना के बाद पुरातत्व विभाग भी हरकत में आया और गांव बाहरी पहुंचकर उस जगह खोदाई बंद करा दी गई। टीम के सदस्यों ने कुछ नमूने भी लिये हैं ताकि गहनता से जांच की सके। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये ईंट किस समय की है।
48 कोस परिधि में निकल चुकीं ऐसी ईंट ग्रामीणों ने बताया कि कुरुक्षेत्र की 48 कोस परिधि में आने वाले तीर्थों व मंदिरों में भी ऐसी ईंट निकल चुकी हैं। सालवन के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मलकसर जोहड़ की खोदाई के दौरान भी इस तरह की बड़े साइज की ईंट मिली थीं। उसकी ज्यादा खोदाई नहीं हो सकी। इससे पूर्व सालवन में तीर्थ मंदिर में दीवार की खोदाई के दौरान भी कुछ पुरानी ईंटे मिली थी। ग्रामीणों का मानना है कि तीर्थ व मंदिरों के जोहड़ों में ही ऐसी ईंटे मिल रही हैं।
जोहड़ों में मिलने वाली ईंटों की हो जांच ग्रामीणों ने कहा कि खोदाई में मिल रही ईंटों का पुरातत्व विभाग को गहनता से जांच करनी चाहिए। इसमें प्राचीन संस्कृति का पता चल सकेगा। जब तक इसकी जांच नहीं होगी, इसके बारे में अधिक पता नहीं चल सकता। जांच के बाद मिलेगी सटीक जानकारी कुरुक्षेत्र के श्रीकृष्ण संग्रहालय के पूर्व पुरातत्वविद राजेंद्र राणा ने बताया कि ईंट का जो साईज दिखाई दे रहा है, वह लगभग 1200 साल पुरानी प्रतीत हो रही हैं। इस तरह की ईंट इसी काल में प्रयोग में लाई गई है। आगे जांच का विषय है। सटीक जानकारी जांच के बाद ही सामने आ सकती है।।
टीम ले चुकी सैंपल
बनानी राज्य पुरातत्व विभाग की उप निदेशक बनानी भट्टाचार्य का कहना है कि बाहरी गांव से विभाग की टीम ईंटों के सैंपल लेकर आ चुकी है। अभी उनकी बात टीम के सदस्यों से नहीं हुई। उनसे बातचीत होने के बाद ही वह कुछ बता पाएंगी।