नई दिल्ली: चाणक्य नीति में जीवन के कई अहम पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें आचार्य चाणक्य ने जीवन को सुखी व आसान बनाने का तरीका भी बताया है।जीवन में सुख-दुख दोनों ही लगे रहते हैं, ऐसे मौकों पर चाणक्य नीति की ये बातें बहुत काम आती हैं। चाणक्य नीति में ऐसी घटनाओं का उल्लेख भी किया गया है। जो व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदल देती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इसी घटनाएं जीवन को दुखों से भर देती हैं।
जीवनसाथी का साथ छूट जाना
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, पति-पत्नी को जीवनसाथी भी कहा जाता है। क्योंकि यह एक ऐसा रिश्ता है जो जीवन भर साथ निभाता है। अगर उम्र के आखिरी पड़ाव में जब पति-पत्नी में से कोई एक इस धरती से चला जाता है तो यहां रह जाने वाले का बचा हुआ जीवन जीना दुश्वार हो जाता है। बगैर जीवनसाथी के वृद्धावस्था गुजारना बहुत मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति अच्छे-भले जीवन को भी दुखों और कष्टों से भर देती है।
जीवन भर की जमा पूंजी खोना
चाणक्य नीति के अनुसार जीवन को आसान व सुखी बनाने के लिए पैसे का होना बहुत जरूरी है। अगर कड़ी मेहनत से कमाया गया पैसा आपसे कोई छीन ले तो जीवन में इससे बुरी स्थिति कुछ नहीं हो सकती। ऐसी अवस्था में उस व्यक्ति को अपना पूरा जीवन बर्बाद लगने लगता है। वहीं अगर उसका पैसा उसके शत्रु के पास पहुंच जाए तो वह उसके पैसे का उपयोग उसके खिलाफ भी कर सकता है।
दूसरे के घर में रहना
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को किसी कारणवश कभी दूसरे के घर में रहना पड़ जाए तो यह उसके लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात होती है। दूसरे के घर में रहने पर व्यक्ति न केवल दूसरे पर निर्भर हो जाता है, बल्कि उसे घर के मालिक के मर्जी से भी जीना पड़ता है। ऐसी स्थिति व्यक्ति का आत्मसम्मान खत्म कर देती है।