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Vastu Shastra : घर, ऑफिस या व्यापार स्थल जहां पर आप अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं या कार्य करते हैं, उन सभी स्थानों पर दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है. चीजें जब सही दिशा में रखी जाएं तब ही उनसे सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं. वहीं उचित दिशा न होने पर यह चीजें वास्तु दोष पैदा करती हैं और नुकसान का कारण बनती हैं.
हर दिशा का अलग महत्व
हर दिशा का अपना अलग महत्व होता है क्योंकि प्रत्येक दिशा पर ग्रह, उसके स्वामी और ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रभाव रहता है. यही कारण है कि हमारे ऋषि मुनि जिन्होंने शोध कर इस बात का ज्ञान अर्जित किया था कि किस दिशा में क्या करने से किस तरह का लाभ होता है और किस तरह का नुकसान. इसलिए उन्होंने सोने, जागने, भोजन करने, पढ़ने, पूजा करने, भोजन बनाने आदि के लिए नियम बनाए कि किस दिशा में किस तरह बैठकर ये सारे कार्य करने है.
…वरना होंगी बीमारियां
यदि दिशा का इस्तेमाल वास्तु शास्त्र में बताए गए नियमों के अनुसार ना हो तो सेहत पर बुरा असर पड़ता है. जैसे- पश्चिम दिशा में जल का साधन होने या जल रखने से थायराइड से संबंधित कष्ट हो सकते हैं. दक्षिण और पूर्व के मध्य का कोणीय स्थान जिसे आग्नेय कोण भी कहते हैं, में यदि जल तत्व ज्यादा हो तो स्त्रियों में प्रदर व गर्भाशय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
यदि दक्षिण पश्चिम की दिशा यानी कि नैऋत्य कोण में किचन होने से घर के लोगों को अपच की शिकायत हो जाती है और गुर्दे संबंधी रोग हो सकते हैं. नैऋत्य कोण में बने किचन का खाना खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. लोग विभिन्न बीमारियों से घिर जाते हैं.
आग्नेय कोण में ना बनाएं सीढ़ियां
इसी तरह आग्नेय कोण में कभी भी सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए नहीं तो किडनी संबंधी रोग हो सकते हैं. यदि घर में 2 भाई हों तो छोटे भाई को रोग होने की आशंका बनी रहती है. उत्तर पूर्व की दिशा को ईशान कोण कहते हैं, इस दिशा में रसोईघर होने से एड़ी संबंधी रोग होने की आशंका बनी रहती है.