हिमाचल में सीएम चुनना कांग्रेस के लिए बना सिरदर्द, मंथन के बीच कार्यकर्ताओं का हंगामा

Election of CM in Himachal becomes headache for Congress, workers uproar amid churning
Election of CM in Himachal becomes headache for Congress, workers uproar amid churning
इस खबर को शेयर करें

शिमला: हिमाचल में कांग्रेस को मिली दमदार जीत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल है कि सूबे का मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा. इस सवाल को लेकर पार्टी के अंदर तनाव की खबरें हैं. हालांकि, पार्टी आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ऑब्जर्वर बनाकर हिमाचल भेजा है. इन्हें ये जिम्मेदारी मिली है कि मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे के चुनाव में सहयोग करें और पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ मिलकर इस सवाल का हल निकालें.

कांग्रेस ने हिमाचल में आज सभी विधायकों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है. हालांकि, सीएम के कई दावेदारों के होने की वजह से हर खेमे के कार्यकर्ता हिमाचल में सड़कों पर नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के ऑब्जर्वर्स के वहां पहुंचते ही कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और नारेबाजी करने लगे. काफी मशक्कत के बाद कार्यकर्ताओं को गाड़ी के सामने से हटाया गया.

हुड्डा और बघेल के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश से जुड़े मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला भी शिमला पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि वो हिमाचल के राज्यपाल के साथ शिष्टाचार मुलाकात करेंगे. दरअसल, कांग्रेस ऐसा मुख्यमंत्री चाहती है जो पार्टी को एकजुट रख सके.

हिमाचल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को धूल चटाते हुए 68 में 40 सीटों पर जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही हिमाचल में किसी भी पार्टी की दोबारा सरकार न बनने का रिवाज भी बरकरार रहा.

सीएम पद के कितने दावेदार?
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे नजर आ रही हैं. उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है. उनके अलावा हिमाचल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री भी सीएम बनने की रेस में शामिल हैं.

सीएम के चुनाव पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि विधायकों की बैठक में सबकी राय ली जाएगी. इसके बाद सामूहिक इच्छा को ऑब्जर्वर्स पार्टी के आलाकमान तक पहुंचाएंगे. आलाकमान जो भी बेहतर चाहेगा और जो भी फैसला लेगा, वो सभी को स्वीकार होगा.