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नई दिल्ली: पंजाब की नई सरकार कामकाज संभालने के पहले ही दिन अपने पहले ही आदेश के साथ सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का शिकार हो गई है। नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दोपहर को राज्य के सभी हड़ताली मुलाजिमों से काम पर लौटने की अपील की और शाम को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दिया। सरकार ने इसी फैसले ने कर्मचारियों का गुस्सा भड़का दिया है।
पंजाब यूटी मुलाजिम व पेंशनर्स साझा फ्रंट ने इस अधिसूचना पर एतराज जताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। साझा फ्रंट ने सोमवार को जारी एक प्रेस बयान में कहा कि मुलाजिमों ने वित्त विभाग द्वारा पहले भी जारी अधिसूचना को 11 सितंबर को चंडीगढ़ रैली के दौरान सर्वसम्मति से रद्द कर दिया था।
फ्रंट के कनवीनर सतीश राणा, जर्मनजीत सिंह, जगदीश सिंह चाहल, ठाकुर सिंह, सुखचैन सिंह खैरा, सुखदेव सिंह सैनी, सुखजीत सिंह, कर्म सिंह धनोआ ने कहा कि एक तरफ पंजाब के नए मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने और सरकार के साथ मिल-बैठकर सभी मसले हल करने की अपील की, दूसरी तरफ पंजाब के कर्मचारियों और पेंशनर्स द्वारा पहले से रद्द छठे वेतन आयोग के वेतनमान तय करने वाले फार्मूले को जबरन लागू करते हुए एकतरफा अधिसूचना जारी कर दी गई।
अधिसूचना पर कर्मचारियों को यह है एतराज पदाधिकारियों ने कहा कि छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट एक जनवरी 2016 से 125 फीसदी डीए पर न्यूनतम 20 फीसदगी बढ़ोतरी मिलनी चाहिए लेकिन उक्त नोटिफिकेशन के अनुसार 31 दिसंबर 2015 को 113 फीसदी डीए पर 15 फीसदी बढ़ोतरी दी जा रही है। इसके अलावा 1 जनवरी 2016 के बाद भर्ती कर्मचारियों को इस नोटिफिकेशन के जरिए बाकी मुलाजिमों से अलग कर दिया गया है जबकि इन मुलाजिमों के 1 दिसंबर 2011 वाले वेतनमान को बरकरार रखते हुए नए स्केल मिलने चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि अनरिवाइज्ड और अधूरे रिवाइज्ड कैटेगरी के मुलाजिमों के बारे में इस नोटिफिकेशन में कोई जिक्र नहीं है जबकि इन वर्गों के वेतन 1 जनवरी 2016 से उच्चतम गुणांक के नेशनल आधार पर फिक्स करना बनता है। इसके अलावा, सोमवार को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, 15 फीसदी बढ़ोतरी लेने वाले मुलाजिमों को 1 जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक का 66 महीने का बकाया नहीं दिया जाएगा जो किसी तरह तर्कसंगत नहीं है।