छत्तीसगढ़ में रोक के बाद भी 70 प्रतिशत आरक्षण से भर्ती, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

Even after ban in Chhattisgarh, recruitment with 70 percent reservation, High Court sought answer
Even after ban in Chhattisgarh, recruitment with 70 percent reservation, High Court sought answer
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण व्यवस्था लागू कर की जा रही भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाने से इन्कार कर दिया है। हाई कोर्ट ने सचिव उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब पेश करने कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब पहले ही 58 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के शासन के फैसले को असंवैधानिक करार दिया गया है तो फिर 70 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू कर भर्ती कैसे की जा रही है। फैसले पर अमल करने के बजाय उल्लंघन क्यों किया जा रहा है।

सुखमति नाग व दो अन्य ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के दो चिकित्सा महाविद्यालय कांकेर व जगदलपुर में तृतीय व चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इसमें 70 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था के अनुसार वर्गवार आरक्षण रोस्टर जारी किया गया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि छग शासन ने वर्ष 2012 में 50 प्रतिशत को बढ़ाकर प्रदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू की थी। इसी के अनुसार भर्ती प्रक्रिया भी प्रारंभ की गई थी।

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू करने के राज्य शासन के फैसले के असंवैधानिक करार दिया है। तय मापदंडों के आधार पर 50 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू रहने और इसी के आधार पर भर्ती सहित अन्य प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश भी दिए हैं। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती में मनमानी की जा रही है। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

रोक लगाने के साथ ही राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच में हुई। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए विधि अधिकारी ने भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाने की मांग की। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने हाई कोर्ट के फैसले का राज्य शासन द्वारा उल्लंघन का हवाला देते हुए 50 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था के अनुसार भर्ती प्रक्रिया को प्रारंभ करने की मांग की।

राज्य सरकार के 2012 में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढाने के फैसले को रद करते हुए आरक्षण को 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक असंवैधानिक करार दिया है। छग हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एके गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ ने 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया था। राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन कर दिया था।

2012 के संशोधन के अनुसार सरकारी नियुक्तियों और मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा अन्य कालेजों में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग का आरक्षण प्रतिशत 16 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत किया गया था जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पूर्व की तरह 14 प्रतिशत यथावत रखा गया था। संशोधित नियमों के अनुसार, कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 58 प्रतिशत कर दिया गया था।