नई दिल्ली. देश में कई शहरों में महंगे बिकने वाले आलू की तरह दिखने वाली किस्म अब बाजार में आ चुके है. इसमें असली और नकली की पहचान करना बेहद मुश्किल है. इन नकली आलुओं से बाजार भर चुका है. बाजार में ‘हेमांगिनी’ या ‘हेमालिनी’ आलू चंद्रमुखी (Chandramukhi Potatoes) के भाव बिक रहे हैं. जो दिखता तो चंद्रमुखी जैसा है, लेकिन स्वाद बिल्कुल अलग है. लेकिन अगर आप इन्हें साथ-साथ रखें तो यह समझना मुश्किल हो जाता है कि चंद्रमुखी कौन सा है और हेमांगिनी आलू कौन सा.
बाजार में चंद्रमुखी आलू इस समय 20 से 25 रुपये किलो बिक रहे हैं. वहीं हेमांगिनी आलू की कीमत 10 से 12 रुपये प्रति किलो होती है. हालांकि कई व्यापारी हेमांगिनी आलू (Hemangini potato) को चंद्रमुखी आलू बताकर बाजार में बेच रहे हैं. नतीजतन, खरीदारों को परेशानी होती है. हुगली कृषि सहकारी समिति के एक सदस्य ने बताया कि हेमांगिनी आलू मूल रूप से आलू की मिश्रित किस्म है. इस आलू की खेती पंजाब और जालंधर के अलग-अलग हिस्सों में की जाती है. इस आलू के बीज दूसरे राज्यों से बंगाल में आते हैं.
इस आलू की हुगली में भी अलग-अलग जगहों पर खेती होती है. आलू की इस खेती में पैदावार अधिक होती है. जहां प्रति बीघा 50 से 60 बोरी चंद्रमुखी आलू का उत्पादन होता है, वहीं इस आलू का उत्पादन करीब 90 से 95 बोरी होता है. हालांकि इस आलू की उत्पादन दर अधिक है, लेकिन बाजार में इस आलू की मांग बहुत कम है. इसका एक बड़ा कारण है कि ये आलू ढंग से पकते नहीं हैं. साथ ही खाने में भी इनका स्वाद अच्छा नहीं है. हुगली के जिला कृषि अधिकारी मनोज चक्रवर्ती ने कहा, “शहरी इलाकों के लोगों के लिए बाहर से हेमांगिनी आलू और चंद्रमुखी आलू के बीच अंतर करना बहुत मुश्किल है.”
हेमांगिनी आलू को चंद्रमुखी आलू के साथ क्रॉस ब्रीडिंग करके बनाया जाता है. चूंकि यह आलू हाईब्रिड है इसलिए कम समय में और कम लागत में इसकी खेती (Potato cultivation) की जा सकती है. यह आलू हुगली जिले के पुरशुरा और तारकेश्वर क्षेत्रों में उगाया जाता है. चंद्रमुखी आलू जिसे बनने में तीन से चार महीने का समय लगता है, वहां ये हाईब्रिड आलू डेढ़ से दो महीने के अंदर पैदा हो जाते हैं. किसान इस आलू की एक सीजन में दो बार खेती कर सकते हैं.
हेमांगिनी आलू को कई व्यापारी चंद्रमुखी आलू बताकर बेच रहे हैं. ग्रामीणों को मूर्ख बनाना बहुत आसान नहीं है, क्योंकि वे कृषि से जुड़े हैं और आलू को देखते ही पहचानते हैं. हालांकि, व्यवसायी शहरी क्षेत्रों या मलिन बस्तियों के लोगों को आसानी से बेवकूफ बनाकर अपना कारोबार जारी रख हुए हैं.