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जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ कहां तो कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने की तैयारी करनी थी, लेकिन पार्टी एक बार फिर आंतरिक कलह में उलझती दिख रही है। प्रदेश में पार्टी के दो सबसे बड़े नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक दूसरे पर खुलकर वार-पलटवार करने में जुट गए हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिस तरह लंबे समय तक सब्र किए बैठे सचिन पायलट ने भी खुलकर बोलना शुरू कर दिया है उससे हालात एक बार फिर 2020 जैसे होने के आसार बढ़ गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव से पहले कांग्रेस दो फाड़ हो जाएगी?
‘पेपर लीक में जादूगरी बनाम पार्टी में बड़ा कोरोना’
इन दिनों किसान सम्मेलनों के जरिए अपनी ताकत दिखाने और बढ़ाने में जुटे सचिन पायलट अपनी ही सरकार को पेपर लीक मुद्दे पर घेर रहे हैं। सरकार की कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए सरगना को पकड़ने की मांग कर रहे पायलट ने गहलोत पर भी कटाक्ष किया है। गहलोत की ओर से अधिकारियों और नेताओं को क्लीनचिट दिए जाने के बाद पायलट ने कहा पूछा कि तिजोरी में बंद पेपर छात्रों तक कैसे पहुंच गई, कैसी जादूगरी है? पायलट ने वसुंधरा सरकार में घोटाले के आरोप लगाए जाने की याद दिलाते हुए गहलोत से यह भी पूछा है कि सरकार में आने के बाद कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इधर पायलट को कई बार ‘गद्दार’ कह चुके अशोक गहलोत ने अपने पूर्व डिप्टी को बड़ा कोरोना बता दिया है।
क्या खत्म हो गया सचिन पायलट का सब्र?
अपने ‘सब्र’ के लिए राहुल गांधी से तारीफ पा चुके पायलट ने लंबे समय बाद अपनी सरकार और इसके मुखिया गहलोत को निशाना बनाना शुरू किया है। राजस्थान की राजनीति पर करीब से निगाह रखने वाले राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2020 से ही वह पार्टी नेतृत्व खासकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आश्वासन की वजह से चुप रहे। तब समर्थक विधायकों के साथ बगावत करने वाले पायलट से पार्टी ने कुछ वादे किए थे जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है। पिछले दिनों गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाकर प्रदेश की कमान पायलट को सौंपे जाने की योजना भी विफल रही। अब तक पार्टी गहलोत के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं ले पाई और पायलट को अब यह लगने लगा है कि उन्हें अपनी जंग खुद लड़नी पड़ेगी। बताया जा रहा है कि पायलट पार्टी को संदेश देना चाहते हैं कि जनता गहलोत के कामकाज से खुश नहीं है और अगले चुनाव से पहले उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया जाए।
पार्टी के पास नहीं समाधान, होकर रहेगा घमासान?
पायलट और गहलोत के बीच मतभेद और टकराव कोई नहीं बात नहीं है। 2018 से ही लगातार दोनों नेता एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं। लेकिन पार्टी अब तक समाधान का कोई फॉर्मूला तैयार नहीं कर पाई है। दोनों ही नेता राजस्थान की कमान अपने हाथ रखने की जिद्द पर अड़े हुए हैं। गहलोत ने जिस तरह राजस्थान के लिए पार्टी की कप्तानी कुर्बान कर दी उससे यह साफ हो गया है कि वह किसी भी कीमत पर पायलट के लिए रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उधर, पायलट को अब तक इस बात का मलाल है कि 2018 में पार्टी को जीत दिलाने के लिए उन्होंने जो मेहनत की उसका इनाम अब तक नहीं मिल पाया है। अब तक पार्टी के भरोसे बैठे रहे पायलट ने अब खुद ही मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में राजस्थान कांग्रेस में घमासान तय है। पार्टी नेतृत्व ने हस्तक्षेप नहीं किया तो पार्टी के दो फाड़ हो जाने की भी आशंका है।