नई दिल्ली। तालिबान और अफगानिस्तान को मान्यता देने को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी बात रखी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने तालिबान के साथ आगे की बैठकों के बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यह हां या ना की बात नहीं है. हमारा मकसद है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से आतंकी गतिविधियों के लिए न किया जाए।
अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर बागची ने बताया है कि फिलहाल काबुल हवाईअड्डा चालू नहीं है. हवाईअड्डे के संचालन शुरू होने के बाद हम इस मुद्दे पर गौर कर पाएंगे। अफगानिस्तान में सरकार गठन को लेकर उन्होंने बताया है कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बन सकती है.
दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल के साथ तालिबान नेता की बैठक के बारे में बागची ने कहा है कि तालिबान शायद उन लोगों तक पहुंचना चाहता था जिनका अफगानिस्तान में दांव है। बता दें कि 31 अगस्त को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के दोहा राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास त्सटेकजई से मुलाकात की थी। बातचीत अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनकी भारत वापसी पर केंद्रित थी। राजदूत मित्तल ने चिंता व्यक्त की थी कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत के इन मुद्दों के बारे में शेर मोहम्मद अब्बास त्सटेकजई ने आश्वासन दिया है कि इन मुद्दों को सकारात्मक दृष्टिकोण से संबोधित किया जाएगा।