चंडीगढ़: पंजाब के सीएम भगवंत मान और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल 14 अक्टूबर को एसवाईएल मुद्दे पर बैठक करेंगे। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं रहेगा। दोनों सीएम आपस में बैठकर मसले का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर की शुरुआत में केंद्र सरकार से सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर से जुड़े वर्षों पुराने विवाद को सुलझाने के लिए पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ बैठक करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि यह एक संवेदनशील मामला है और देश के व्यापक हित में इसे इस तरह नहीं छोड़ा जा सकता। पानी एक प्राकृतिक संसाधन है और लोगों को इसे साझा करना सीखना चाहिए, चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हो या राज्य के स्तर पर। मामले को केवल एक शहर या एक राज्य के दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता है। यह प्राकृतिक संपदा जिसे साझा किया जाना है और इसे कैसे साझा किया जाना है, यह एक तंत्र है जिस पर काम करने की जरूरत है।
वहीं पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह अपने किसानों के हितों को नजरअंदाज कर दूसरे राज्यों को पानी नहीं दे सकता। पंजाब ने यह भी कहा था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे ट्रिब्यूनल को सुनना चाहिए। पंजाब का कहना है कि सतलुज, ब्यास नदी के पानी पर पहले उसका हक है। इसके बाद किसी और का नंबर आता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों प्रदेशों की राजनीति गरमा गई थी। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पंजाब और हरियाणा में पानी की कमी है। यहां भी पानी का स्तर नीचे जा रहा है। केंद्र सरकार को हरियाणा और पंजाब को पानी दिलाना चाहिए। केंद्र का काम दोनों राज्यों को लड़ाना नहीं है, बल्कि हल निकालना है। हमें 130 करोड़ लोगों को जोड़ना है। हमें आपस में लड़ना नहीं है। हरियाणा और पंजाब को पानी मिल सकता है। मगर केंद्र सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी।
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि यदि पंजाब एसवाईएल का पानी दे तो इसका लाभ न केवल हरियाणा को होगा, बल्कि दिल्ली को भी सीधा फायदा मिलेगा। पंजाब हरियाणा को पानी देने की बजाय पाकिस्तान को देकर खुशी मना रहा है। पंजाब हरियाणा को पानी देगा तो पाकिस्तान जाने वाला पानी वहां नहीं जाएगा।