हरियाणा के दंगल में भाजपा पर भारी पड़ सकते हैं – बेरोजगारी, ओल्ड पैंशन और कोटे सहित 5 मुद्दे

Haryana's riots may cost BJP heavily - 5 issues including unemployment, old pension and quota
Haryana's riots may cost BJP heavily - 5 issues including unemployment, old pension and quota
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हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को होने वाले चुनाव से पहले राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है। जन नायक जनता पार्टी में घमासान मचा हुआ है और पार्टी का राजनीतिक भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। भाजपा ने जनता की नाराजगी कम करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित कई मंत्रियों को हटा दिया है लेकिन इसके बावजूद हरियाणा में उन्हें और उनके मंत्रियों को किसानों द्वारा गांवों में नहीं घुसने दिया जा रहा। इस बीच चुनाव में 5 मुख्य मुद्दे उभर कर सामने आ रहे हैं।

1. बेरोजगारी का मुद्दा

पिछले कई दशकों से हरियाणा के युवाओं का झुकाव सेना की तरफ रहा है और हरियाणा के कई युवा फ़ौज में हैं और कई युवा फ़ौज में उच्च पदों पर भी देश की सेवा कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा लांच की गई अग्निवीर योजना के चलते युवाओं में गुस्सा है क्योंकि इस योजना के तहत फौज में भर्ती होने वाले युवाओं को अपना भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आता। युवाओं के पास नौकरी के अवसर कम होने के कारण यह चुनाव का एक बड़ा मुद्दा बन रहा है।

2. ओल्ड पैंशन का मुद्दा

हरियाणा में सरकारी नौकरी और पैंशनर्स के परिवारों के करीब 25 लाख वोट हैं और राज्य में ओल्ड पैंशन स्कीम का मुद्दा दूसरा बड़ा मुद्दा रह सकता है। हरियाणा के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने ओल्ड पैंशन स्कीम की घोषणा कर दी है। हरियाणा में इस समय 3.25 लाख लोग सरकारी नौकरी में हैं और 4 लाख के करीब पैंशनर हैं। ये पैंशनर पिछले लंबे समय से ओल्ड पैंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं।

3. नौकरियों में कोटे का मुद्दा

हरियाणा के जाट इस समय सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए कोटे की भी मांग कर रहे हैं। कांग्रेस की सरकार ने जाटों के लिए कोटे की घोषणा की थी, लेकिन अदालत ने इस पर स्टे लगा दिया। जाटों की यह धारणा है कि भाजपा की सरकार ने इस स्टे को रुकवाने के लिए गंभीरता से कदम नहीं उठाए। हरियाणा के जाट महाराष्ट्र के शिंदे सरकार द्वारा मराठी समुदाय के लिए दिए गए कोटे की तुलना हरियाणा के जाटों से कर रहे हैं।

4. जाट-गैर जाट वोटों के ध्रुवीकरण का मुद्दा

हरियाणा में यह आम धारणा है कि भाजपा ने जाटों और गैर जाटों के मध्य विभाजन करवा दिया है और भाजपा ने राज्य के तमाम उच्च पदों पर जो नियुक्तियां की हैं, उनमें जाति का खास ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की हाल ही में हुई नियुक्ति को भी भाजपा द्वारा अनुसूचित जनजाति के वोटों को लुभाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

5. बाहरी उम्मीदवारों का मुद्दा

10 साल सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा को हरियाणा की 10 सीटों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे। भाजपा द्वारा खड़े किए गए 10 में से 6 उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से लाए गए हैं। इनमें से तीन नेताओं ने 2014 में भाजपा ज्वाइन की थी, जबकि नवीन जिंदल, रंजीत सिंह चौटाला ने हाल ही में भाजपा ज्वाइन की थी और उन्हें कुरुक्षेत्र और हिसार से मैदान में उतारा गया है।