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What are the 5 elements of health: क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंचतत्व से बना शरीरा अर्थात पृथ्वी, पानी, आग, आकाश और हवा इन पांच चीजों से मिलकर मनुष्य का शरीर बनता है. इन पांचों चीजों को पंचभूत तत्व या पंच तत्व कहा जाता है. यह पांचों मूल तत्व भगवान ने अपने अंश से निर्मित किए हैं. भगवान ने मानव देह की रचना कर उसे संपूर्ण योग्यताएं और शक्तियां देकर इस संसार में जीवन बिताने के लिए भेजा है. मनुष्य ईश्वर की अनुपम कृति है इसलिए उसमें ईश्वरीय गुण आनंद व शांति आदि हैं. मनुष्य को सदैव ध्यान रखना चाहिए कि वह स्वयं कुछ नहीं है वह तो ईश्वर का अंश है.
ईश्वर अंश जीव अविनाशी.. इस बात को समझने और समझाने के लिए हमारे मनीषियों ने एक आसान तरीका निकाला और कहा कि यदि मनुष्य ईश्वर अर्थात भगवान को सदा याद रखे तो इन पांच तत्वों का ध्यान भी बना रहेगा. उन्होंने पांच तत्वों को किसी को भगवान तो किसी को अल्लाह या गॉड के रूप में याद रखने की शिक्षा दी है. आखिर उन्हें भगवान क्यों कहा जाता है इसे समझने के लिए इस शब्द के प्रत्येक अक्षर का विश्लेषण इस प्रकार किया गया है.
भ- भूमि यानी पृथ्वी
ग- गगन यानी आकाश
वा- वायु यानी हवा
न- नीर यानी जल
मानव शरीर में यह पांचों मूल तत्व बराबर मात्रा में होने चाहिए, जब इनमें थोड़ी सी गड़बड़ी होती है या विकार आ जाते हैं तो शरीर में रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इन पांच महाभूतों के कुछ मूल गुण हैं. उनकी व्याख्या भी ऋषियों ने इस तरह की है…
पृथ्वी तत्वः यह तत्व असीम सहनशीलता का घोतक है और इससे मनुष्य धन-धान्य से परिपूर्ण होता है. इसके प्रति त्रुटि होने से लोग स्वार्थी हो जाते हैं.
जल तत्वः जल तत्व शीतलता प्रदान करता है, इसमें विकार आने से व्यक्ति की सौम्यता कम हो जाती है.
अग्नि तत्वः यह तत्व विचार शक्ति में सहायक बनता है और मस्तिष्क के भेद अंतर परखने वाली शक्ति को सरल बनाता है. यदि इसमें त्रुटि आ जाए तो हमारे सोचने की शक्ति का ह्रास होने लगता है.
वायु तत्वः यह तत्व मानसिक शक्ति तथा स्मरण शक्ति की क्षमता को पोषण प्रदान करता है. अगर इसमें विकार आने लगे तो स्मरण शक्ति कम होने लगती है.
आकाश तत्वः यह तत्व शरीर में आवश्यक संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है. इसमें विकार आने से हम शारीरिक संतुलन खोने लगते हैं.