बिहार में बाल विवाह हुआ या दहेज की लेन-देन, तो मुखिया होंगे सस्पेंड, जानिए पूरा मामला

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Bihar News: बिहार में बाल विवाह और दहेज प्रथा पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने और कड़े कदम उठाए हैं. अब अगर किसी भी गांव में बाल विवाह या दहेज का लेन-देन हुआ तो मुखिया की शामत आ सकती है. दहेज का लेन-देन और बाल विवाह को रोकने की नई जिम्मेदारी अब मुखिया को दी गई है. इसे लेकर पंचायती राज विभाग ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी और भूमिका तय की गई है. बिहार के कई जिलों में जारी है NIA की रेड, PFI के सदस्यों पर जांच एजेंसी ने कसा शिकंजा |

बाल विवाह हुआ या दहेज का लेन-देन, मुखिया होंगे जिम्मेदार
बिहार में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई है. इसे दूर किए बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. लिहाजा पंचायती राज विभाग की ओर से निर्देश जारी कर साफ तौर पर कहा गया है कि अगर किसी भी गांव से बाल विवाह की सूचना मिलती है, तो संबंधित मुखिया को इसके लिए जिम्मेदार होगा. Also Read – लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाला, CBI ने आज की दूसरी गिरफ्तारी

सरकार के निर्देशों के मुताबिक मुखिया को द्वारा बाल विवाह की सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा अनुमंडल पदाधिकारी, बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को देते हुए बाल विवाह रुकवाने का काम करना होगा और फिर दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी को सूचित करना होगा. Also Read – IRCTC Scam: सीबीआई की बड़ी कार्रवाई, राजद सुप्रीमो लालू यादव के खास भोला यादव गिरफ्तार

बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है. विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है. पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया और पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा.

बाल विवाह-दहेज उन्मूलन के लिए पंचायतों में चलेंगे अभियान
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार बाल विवाह और दहेज उन्मूलन के लिए पंचायतों में अभियान चलाएगी. पंचायती राज विभाग की ओर से कहा गया है कि अगर ऐसी शिकायत मिलती है, तो सरकार संबंधित पंचायत के मुखिया और वार्ड सदस्यों को हटाने के लिए भी कार्रवाई शुरू करेगी.

सम्राट चौधरी ने कहा कि आम तौर पर मुखिया गांवों में मैरिज सर्टिफिकेट जारी करते हैं. इसलिए, यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकें. उन्होंने कहा कि जिस इलाके से बाल विवाह की सूचना मिलेगी, तो उसी क्षेत्र के मुखिया को अवैध विवाह के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.