क्या वाकई दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? ये चार घटनाएं संकेत कर रही हैं

Is the world really heading towards the third world war? These four events indicate
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पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची है। कहीं गृह युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं तो कई देशों में जंग की स्थिति है। रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी में शुरू हुआ युद्ध अब तक जारी है। उधर, चीन और ताइवान में भी जंग की आहट आने लगी है। इस्राइल और ईरान पहले से ही भिड़े हुए हैं।

इन सबके बीच, एक सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई में दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है? अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो कैसे होगा और इसका असर क्या पड़ेगा? आइए जानते हैं…

रूस-यूक्रेन युद्ध

1. रूस-यूक्रेन की जंग : इस साल 23 फरवरी को रूस ने अपने पड़ोसी मुल्क यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। दोनों देशों के बीच ये जंग अब तक जारी है। कई बार परमाणु हमले की बात भी आई। यूक्रेन पूरी तरह से तबाह हो चुका है। यूक्रेन के कई शहर अब रूस के कब्जे में आ चुके हैं।

इस बीच, यूक्रेन में जपोरिज्झिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर गोलाबारी की खबर भी आई है। शनिवार तड़के रूसी रॉकेट से दो राउंड फायरिंग में रिएक्टर का पॉवर ग्रिड ब्लास्ट कर गया। यूक्रेन की परमाणु एजेंसी का कहना है कि रूसी रॉकेटों की एक विशाल शृंखला ने रूस-नियंत्रित क्षेत्र स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का हिस्सा क्षतिग्रस्त कर दिया है। दक्षिणी यूक्रेन में यह यूरोप का सबसे बड़ा संयंत्र रहा है।

जपोरिज्झिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र छह दबावयुक्त जल रिएक्टर हैं और यहां रेडियोधर्मी कचरे का भंडारण होता है। इसलिए इस पर हुए हमले से हाइड्रोजन रिसाव और रेडियोधर्मी कणों के फैलाव का खतरा है। इससे आग फैलने का खतरा भी जताया गया है। ऐसी स्थिति में हालात और भयावह हो सकते हैं। हालांकि, अभी यूक्रेन का कहना है कि किसी तरह का हाइड्रोजन रिसाव अभी तक नहीं हो रहा है। इस युद्ध से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। यूक्रेन को अमेरिका, फ्रांस जैसे कई देशों का साथ मिला हुआ है।

चीन-ताइवान के बीच जंग की आहट

2. चीन-ताइवान के बीच तनाव : अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन बौखलाया हुआ है। चीन ने ताइवान को पूरी तरह से घेरकर समुद्र में युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। ताइवान के बिल्कुल नजदीक समुद्र में ब्लास्ट किया जा रहा है। ताइवान के हवाई क्षेत्र में चीन लगातार घुसपैठ कर रहा है। ताइवान ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन का सैन्य अभ्यास हम पर हमले की तरह लग रहा है, क्योंकि चीन के कई युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया है। ताइवान ने अपने सशस्त्र बलों को भी सतर्क रहने के लिए कहा है। द्वीप के आसपास हवाई और नौसैन्य गश्ती दलों को भेजा गया है। युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए जमीन से मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों को भी तैयार रखा गया है।

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने भी ट्वीट करके चीन पर हमला किया। उन्होंने लिखा, ‘हमारी सरकार और सेना चीन के सैन्य अभ्यास पर करीबी नजर रख रही है। जरूरत के अनुसार प्रतिक्रिया देने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं। मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक ताइवान का समर्थन करने और क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति में तनाव बढ़ने से रोकने की अपील करती हूं।’

इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच भी लड़ाई जारी

3. इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच भी लड़ाई जारी : ऐसा नहीं है कि युद्ध केवल रूस और यूक्रेन में चल रहा है। कुछ युद्ध जैसे हालात इस्राइल और फिलिस्तीन में भी है। यहां दोनों देश एक दूसरे पर रॉकेट बरसा रहे हैं। इस्राइली रॉकेटों ने गाजा के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया। इस्राइल के गाजा पर हमले के बाद ईरान ने भी चेतावनी दी है। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के प्रमुख ने कहा कि फिलिस्तीनी इजरायल के खिलाफ लड़ाई में अकेले नहीं है। हम उनके साथ हैं और यरूशलम को आजाद कराने का काम कर रहे हैं। मतलब इस्राइल और फिलिस्तीन की लड़ाई में भी आसपास के कई मुल्क बंट जाएंगे। इसका असर भी पूरी दुनिया पर पड़ेगा।

आर्मेनिया और अजरबैजान में फिर युद्ध के हालात

4. आर्मेनिया और अजरबैजान में फिर युद्ध जैसे हालात : आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो-कारबाख को लेकर एक बार फिर से युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। तीन अगस्त को अजरबैजान ने कारबाख में बम बरसा दिए जिसमें तीन सैनिकों की मौत हो गई। अर्मेनिया ने कहा कि अजरबैजान ने इस क्षेत्र के कई इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। इसे लेकर रूस ने भी अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, अजरबैजान ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सेना ने कहा- आर्मेनिया ने पहले हमला किया और हमारे एक जवान को मार दिया। हमने जवाबी कार्रवाई की।

ये पहली बार नहीं है जब दोनों देश आमने-सामने हुए हैं। इसके पहले 2020 में लगातार छह महीने तक दोनों देशों के बीच जंग छिड़ी हुई थी। नवंबर 2020 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच एक शांति समझौता करवाया था। 2020 में दोनों देशों के बीच लगभग छह महीने तक खूनी संघर्ष चला था। इस दौरान 6,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद रूस के कहने पर दोनों देशों ने शांति समझौते पर साइन किए थे। ऐसे में अगर फिर से दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो फिर से इसमें कई अन्य देश भी शामिल हो सकते हैं।

क्या तीसरा विश्व युद्ध होगा?

तो क्या वाकई तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही दुनिया?
हमने ये समझने के लिए रक्षा मामलों के जानकार और रिटायर्ड वाइस चीफ एयरमार्शल आरसी वाजपेय

ी से बात की। उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। कई देशों के बीच का आपसी विवाद अब युद्ध की तरफ बढ़ने लगा है। सबसे घातक युद्ध चीन और ताइवान का हो सकता है। अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। अमेरिका भी इस लड़ाई में शामिल होगा। ऐसी स्थिति में जब दुनिया की दो बड़ी शक्तियां आपस में टकराएंगी तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में तृतीय विश्व युद्ध की संभावना भी बन सकती है।’

मंदी

युद्ध का क्या-क्या असर पड़ेगा?
आर्थिक मामलों के जानकार प्रो. महेश परमार से हमने यही सवाल पूछा। उन्होंने कहा, ‘एक सामान्य सा युद्ध भी देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। अगर तृतीय विश्व युद्ध होगा तो पूरी दुनिया संकट में आ जाएगी। अभी रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से दुनिया के कई देशों में मंदी की स्थिति आ गई है। महंगाई तेजी से बढ़ने लगी है। लोगों की नौकरियों जाने का खतरा बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में मंदी दस्तक दे देगी। जब एक युद्ध से ऐसे हालात हो सकते हैं तो तृतीय विश्व युद्ध की स्थिति में तो पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी।’