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पटना: एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के NDA में वापस जाने की अटकले तेज हैं। इसी बीच पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने सोमवार को बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार का विरोध करने का संकल्प लिया। चिराग ने इस दौरान बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग की। कभी खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ कहने वाले चिराग सीएम नीतीश के कटु विरोधी रहे हैं, लेकिन अक्सर तेजस्वी को अपना छोटा भाई कहते हैं। चिराग और तेजस्वी के बीच ये दोस्ती तब तक देखी गई जब तक तेजस्वी विपक्ष में थे। लेकिन चूंकि तेजस्वी नीतीश के साथ सरकार में हैं, इसलिए चिराग की पार्टी ने उनका विरोध करने का फैसला किया है।
मोकामा-गोपालगंज में चिराग ने NDA को दिया वॉक ओवर
एलजेपी (रामविलास) ने बिहार में मोकामा और गोपालगंज विधानसभा क्षेत्रों में 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। इसलिए इसके फैसले से बीजेपी को फायदा होने की संभावना है, जो दोनों सीटों के लिए तेजस्वी की आरजेडी के साथ सीधे मुकाबले में है। एलजेपी (रामविलास) के साथ-साथ बीजेपी के सूत्रों ने पुष्टि की कि महागठबंधन के सात-पार्टी पैक के सामाजिक समीकरण का मुकाबला करने के लिए चिराग और बीजेपी के बीच उन्हें एनडीए में वापस लाने के लिए बातचीत चल रही थी। एलजेपी (रामविलास) के सूत्रों ने कहा कि चिराग को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने के लिए बीजेपी के साथ बातचीत चल रही है।
‘NDA में होगी LJP (रामविलास) की वापसी’
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘यह लगभग तय है कि पार्टी एनडीए में वापस जा रही है। चिराग के लिए कैबिनेट बर्थ के लिए बातचीत चल रही है। शेष मुद्दों को ज्यादातर सुलझा लिया गया है।’ एलजेपी (रामविलास) की ओर से नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्तमान में बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। चिराग ने कहा, ‘सीएम नीतीश की निजी महत्वाकांक्षाओं और गलत नीतियों से बिहार और राज्य की जनता को काफी नुकसान हुआ है। एलजेपी (रामविलास) केंद्र सरकार से बिहार सरकार को निलंबित करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने के लिए एक प्रस्ताव पारित कर रही है।’
हिमाचल-गुजरात में चिराग की पार्टी लड़ेगी चुनाव
चिराग पासवान 2020 के विधानसभा चुनावों में तत्कालीन एलजेपी प्रमुख के रूप में, नीतीश के खिलाफ विद्रोह करते हुए एनडीए से बाहर हो गए थे। उनके चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस के एनडीए के कुछ नेताओं के समर्थन से उनकी पार्टी में फूट पड़ने के बाद ही बीजेपी के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई। हालांकि, इस साल जुलाई में एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू को उनके समर्थन के बाद से चिराग और बीजेपी के बीच घनिष्ठता दिखाई देने लगी थी। चिराग की पार्टी ने सोमवार को उन्हें हिमाचल प्रदेश और गुजरात में आगामी चुनावों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और गठबंधन से संबंधित निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एलजेपी संस्थापक, पूर्व केंद्रीय मंत्री और चिराग के पिता दिवंगत रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की पीएम मोदी से मांग करने के लिए एक और प्रस्ताव पारित किया।