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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी को काशी आने वाले काशी आने वाले पर्यटकों के लिए टेंट सिटी का उद्घाटन किया था। इस टेंट सिटी के खिलाफ एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 7 सदस्य कमेटी गठित कर दिया। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में गंगा किनारे यूपी सरकार की ओर से आध्यात्मिक विलासिता के लिए टेंट सिटी बनाए जाने के मामले में जानकारी मांगी थी।
दरअसल गंगा के ठीक किनारे रेत पर करीब 100 एकड़ में टेंट सिटी बनाई गई है जिसमें देश-विदेश के पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह महत्वाकांक्षी योजना थी, लेकिन अब इस पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की तरफ से सवाल-जवाब कर लिया गया है। एनजीटी में एक याचिका दाखिल कर गंगा नदी के रिवर बेड में कमर्शियल इस्तेमाल पर सवाल उठाए गए हैं।
सात विभाग के जिम्मे जांच रिपोर्ट
एनजीटी ने सात सदस्यीय जांच कमेटी बना कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस कमिटी में स्वक्छ गंगा मिशन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली, वन्य जीव संरक्षण विभाग उत्तर प्रदेश, इरीगेशन डिपार्टमेंट उत्तर प्रदेश ,राज्य प्रदूषण बोर्ड उत्तर प्रदेश ,जिला अधिकारी कार्यालय वाराणसी समेत सात विभागो के लोग कमिटी के सदस्य होंगे। ये लोग अगली सुनवाई के पहले याचिकाकर्ता के शिकायत के अनुसार गंगा के तलहटी में रेत पर बनाए टेंट सिटी बनने के प्रक्रिया और उसके असर के बारे में अपनी रिपोर्ट देंगे।
‘पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले प्रभाव का नहीं रखा ख्याल’
वाराणसी के रहने वाले याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी के वकील सौरभ तिवारी एनजीटी में डाली गई इस याचिका के पक्ष में अपनी दलील दी। सौरव तिवारी ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया की टेंट सिटी निर्माण के दौरान गंगा की पारिस्थितिकी का अध्ययन नहीं किया गया इसके अलावा गंगा के तलहटी में रेत पर कमर्शियल यूज करने की इजाजत किन नियमों के तहत दी गई है यह एक बड़ा सवाल है।