पति के बाद पुलिसवालों ने रेप किया, 3 हफ्तों तक 30 से ज्यादा लोगों ने रौंदा; फूलन ने सबको मारा

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25 जुलाई, 2001 को दिल्ली की 54 अशोका रोड पर बने एक महिला सांसद के बंगले पर सुबह-सुबह एक लड़का आता है। महिला सांसद से कहता है, “मुझे आपकी पार्टी के लिए काम करना है। काफी देर तक बात होती है।” क्योंकि उस दिन नाग पंचमी होती है इसलिए महिला सांसद उस लड़के को अपने हाथों की बनी खीर खिलाती है। लड़का चला जाता है।संसद में मानसून सत्र अटेंड करने महिला सांसद अपने बंगले से निकलती है और लंच टाइम पर फिर अपने बंगले पर वापस आती है। घर के गेट पर वह महिला अपनी गाड़ी से उतरती है। तीन नकाब पोश लड़के आकर उस पर गोलियां बरसाने लगते हैं। महिला को 5 गोलियां लगती हैं। एक गोली सीधा माथे पर जा कर लगती है और वो महिला सांसद मर जाती है। ये मौत देश की सबसे बड़ी खबर बन जाती है और कई दिनों तक बनी रहती है। हर किसी की जुबान पर इसी घटना का जिक्र होता है। पुलिस हत्यारों को ढूढ़ने में नाकाम रहती है। 2 दिन बाद हत्यारा खुद बताता है कि उस महिला सांसद की हत्या मैंने की है। ये हत्यारा वही शेर सिंह राणा था जिसे उस महिला सांसद ने अपने हाथों की बनी खीर खिलाई थी।आज डकैत की कहानी सीरीज के छठे पार्ट में कहानी उसी महिला सांसद और हिंदुस्तान की सबसे बड़ी डकैत फूलन देवी की जिसने 22 लोगों को कतार में खड़ा कर गोली मार दी थी। आइए शुरू से बताते हैं…

13 साल की उम्र में फूलन ऐसी दिखती थीं
चाचा ने जमीन हड़पी, 11 साल की फूलन अकेले दम पर भिड़ गई
साल 1963 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के बेहद पिछड़े गांव ‘गुरहा का पुरवा’ में फूलन देवी का जन्म हुआ। पिता देवीदीन मल्लाह गरीब थे। उनके पास थोड़ी सी जमीन थी। खेती से और नाव चला कर अपनी पत्नी, अपने 2 बेटों और 2 बेटियों को पालते थे। फूलन सबसे छोटी बेटी थी। फूलन 10 साल की होती है तभी उसका चाचा अपने बेटों के साथ मिलकर उसके पिता की कुछ जमीन हड़प लेता है। लड़ाई-झगड़ा होता है। घर पर फूलन की मां और पिता रो रहे होते हैं। छोटी सी फूलन से ये बात बर्दाश्त नहीं होती और वो थाने जाकर धरना दे देती है। वहां चाचा के लड़के उसको ईटों से मारते हैं, फूलन भी उन पर ईंट चलाती हुई वापस आ जाती है। बचपन से ही जिद्दी स्वाभाव की फूलन हर रोज लड़कों से लड़ कर आती। चाचा बाकी की जमीन पर भी कब्जा कर लेंगे, इस बात को लेकर अपने पिता से ही लड़ती। इसी बीच उसके दोनों भाइयों की मौत हो जाती है। पिता गरीब थे, जल्द ही अपने फर्ज से छुटकारा पाना चाहते थे इसलिए उन्होंने 11 साल की उम्र में फूलन की शादी कर दी।

35 साल बड़े पति ने गौने से पहले ही कई बार रेप किया
11 साल की उम्र में फूलन देवी की शादी उससे 35 साल बड़े पुत्ती सिंह मल्लाह से कर दी गई। शादी हो गई थी लेकिन गौना नहीं हुआ था। पहले कम उम्र में शादी होती थी, इसलिए शादी के तुरंत बाद लड़की पति के घर नहीं जाती थी। एक साल, तीन साल या सात साल बाद गौना नाम की रस्म होती, तब जाकर दुल्हन, दूल्हे के घर जाती। हालांकि, पुत्ती सिंह बिना गौना कराए फूलन के साथ जबरदस्ती करने लगा। कम उम्र में ही उसका यौन शोषण करने लगा। छोटी उम्र में इस तरह के हादसे के बाद फूलन सहम गई। अपने बाप से शादी का विरोध करने लगी। अब फूलन अपने बाप से ही लड़ने लगी थी। तंग आकर बाप ने उसको ससुराल भेज दिया। फूलन के पति ने उसका और भी ज्यादा शोषण करना शुरू कर दिया। वो वहां से झगड़ा कर बार-बार घर वापस आ जाती। इस बात से फूलन का बाप और ज्यादा परेशान हुआ।

बाप ने चोरी का इल्जाम लगाया, फिर पुलिसवालों ने रेप किया
फूलन के बार-बार मायके आ जाने से बाप परेशान हुआ और एक दिन थाने जाकर फूलन के खिलाफ रपट लिखा दी। बाप ने बेटी पर सोने की अंगूठी चोरी करने का आरोप लगाया था। पुलिस आई और फूलन को उठा कर ले गई। थाने ले जाकर तीन दिन तक हवालात में रखा। इस दौरान कई पुलिसवालों ने उसका रेप किया। इन सभी घटनाओं के बाद फूलन के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। जेल से छूटकर फूलन वापस आई। पिता ने फिर ससुराल भेज दिया। तब तक पति ने दूसरी शादी कर ली थी। उसने फूलन को मार कर घर से बाहर निकाल दिया। अब फूलन अपने घर भी वापस नहीं आ सकती थी। जाती तो जाती कहां?

फूलन चंबल पहुंचती है, विक्रम मल्लाह हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता है
फूलन अपने गांव वापस आई। यहां उसकी मुलाकात कुछ मल्लाहों से हुई जो चंबल के डाकुओं के साथ उठते-बैठते थे। फूलन के बारे में सबको पता था कि उसके साथ हुआ क्या है इसलिए उसे पनाह देने के मकसद से बीहड़ की तरफ ले गए। साल 1979 में फूलन चंबल पहुंचती हैं। डाकू बाबू गूजर उसे पनाह देता है। बाबू गूजर की फूलन पर गंदी नजर थी। एक दिन बाबू फूलन का रेप करने की कोशिश करता है। फूलन शोर मचाती है, तभी बाबू गूजर का राइट हैंड विक्रम मल्लाह फूलन को बचाने के लिए बाबू को गोली मार देता है और खुद गैंग का मुखिया बन जाता है। इस घटना के बाद पहले से शादी शुदा विक्रम और फूलन के प्यार के चर्चे शुरू हो जाते हैं। इसी बीच विक्रम मल्लाह फूलन को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने लगता है और पूरा डाकू बना देता है।बाबू गूजर को मारने के बाद विक्रम मल्लाह और फूलन की गैंग छोटी-मोटी लूट कर अपना काम चलाने लगी। इसी बीच एक दिन फूलन पूरी गैंग को लेकर अपनी ससुराल पहुंचती है। अपने पति पुत्ती और उसकी दूसरी बीवी को घसीटते हुए घर से बाहर लाती है। चौराहे पर लाकर पति के शरीर में जगह-जगह चाकू घोंप कर उसे अधमरा कर देती है।फूलन ने वहां से आते वक्त ऐलान किया, “आज के बाद कोई भी बूढ़ा किसी जवान लड़की से शादी करेगा तो उसे फूलन की गोली का शिकार होना पड़ेगा।”

21 दिनों में 35 से ज्यादा लोगों ने दिन-रात फूलन का रेप किया
चंबल के दो डाकू श्रीराम और लाला राम जेल से छूट कर वापस आते हैं। उन्हें पता चलता है कि विक्रम और फूलन ने उनकी गैंग के मुखिया बाबू गूजर को मार दिया है। वो फूलन के दुश्मन बन जाते हैं। गैंग में फूट डाल कर अपनी गैंग को बड़ा कर लेते हैं। फूलन और विक्रम की गैंग बहुत छोटी हो जाती है।दोनों गुटों के बीच लड़ाई हुई। मुठभेड़ में श्रीराम और लालाराम, विक्रम को गोली मार देते हैं। विक्रम की गैंग के और भी लोग मारे जाते हैं और कुछ भाग जाते हैं। फूलन अकेली बचती है। श्रीराम और लालाराम उसे उठाकर अपने गांव बेहमई ले आते हैं।

सरेंडर के वक्त तनाव में थी फूलन देवी
गांव में फूलन देवी को तीन हफ्ते तक एक कमरे में बंद रखा गया। तीन हफ्ते तक उसके साथ लगातार कई लोगों ने बलात्कार किया। एक टीवी इंटरव्यू में फूलन ने खुद बनाया था, “उस कमरे से एक व्यक्ति बाहर निकलता था तो दूसरा अंदर आ जाता था। जिसका जब भी मन करता तब आ जाता।” ये सिलसिला 3 हफ्तों यानी 21 दिनों तक चलता रहा। फूलन के साथ 30 से ज्यादा लोग लगातार बलात्कार करते रहे। फूलन उनसे गिड़गिड़ाते हुए कहती, भगवान के लिए मुझे जान से मार दो।” इधर फूलन की गैंग के दो लोग उसकी खबर जुटाने में लगे हुए थे। श्रीराम और लालाराम से नफरत करने वाले बेहमई गांव के एक व्यक्ति ने उन दोनों से संपर्क किया और उन्हें जानकारी दी कि फूलन किस जगह पर बंद है। रात के अंधेरे में तीनों एक साथ आते हैं और फूलन को आजाद करा कर वापस बीहड़ ले जाते हैं।

मल्लाहों की मसीहा बन गई फूलन
चंबल से लौटने के बाद फूलन अपने 3 साथियों के साथ मिलकर तमाम मल्लाहों को इकठ्ठा करती है और एक बड़ी गैंग बना लेती है। इसी बीच फूलन और उसके राइट हैंड मान सिंह के बीच अफेयर की खबरें आम हो जाती हैं। फूलन, मान सिंह और गैंग के साथ मिलकर लूट, अपहरण और हत्याएं करने लगती है।

फूलन अपने सटीक निशाने के लिए भी जानी जाती थीं
फूलन अमीरों को लूटती और लूटे हुए पैसों को गरीब मल्लाहों में बांट देती। उनकी बेटियों की शादी भी कराती थी। इस सब के बाद मल्लाह समाज फूलन को अपना मसीहा मानने लगा। इसका फायदा फूलन को तब मिलता जब पुलिस उसे ढूंढने आती। पुलिस के फूलन तक पहुंचने से पहले ही मल्लाह समाज के लोग उसको पुलिस की एक-एक मूवमेंट की जानकारी दे देते। इसी तरह 7 महीने बीत गए। 7 महीने बीत चुके थे लेकिन फूलन देवी को अपने गैंगरेप के तीन काले हफ्ते नहीं भूल रहे थे। एक दिन फूलन को जानकारी लगती है कि बेहमई गांव में एक राजपूत के यहां शादी है। 14 फरवरी, 1981 को फूलन अपने पूरे गैंग के साथ पुलिस की ड्रेस में बेहमई गांव पहुंचती है। उस पूरे शादी वाले घर को घेर लिया जाता है। शादी में उन लोगों को चुन-चुन कर ढूंढा जाता है जिन्होंने फूलन का बलात्कार किया था लेकिन सिर्फ दो लोग ही मिल पाते हैं।

अपनी गैंग के साथ फूलन देवी
उस दिन फूलन इतने गुस्से में थी कि गैंग से बोली, “इस शादी में शामिल हुए सारे राजपूत मर्दों को लाइन से खड़ा करो।” 22 लोग पकड़ में आते हैं उन्हें कतार में खड़ा किया जाता है और फूलन उन पर गोलियां दागना शुरू कर देती है। कुछ ही मिनट में सभी 22 लोग लाशों में तब्दील हो जाते हैं। इस घटना के दूसरे दिन ये खबर पूरे देश में सनसनी फैला देती है। फूलन का खौफ देश के घर-घर में फैल जाता है। बेहमई कांड के बाद दबाव में आकर तब के यूपी के मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया। कई धरना प्रदर्शन हुए। तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना की सबसे ताकतवर टुकड़ियों और एसटीएफ की टीमों को मैदान में उतार दिया। फूलन की गैंग के कई सदस्य मारे गए लेकिन फूलन को पकड़ नहीं पाए। इस दौरान फूलन ने कई और लोगों को अपना निशाना बनाया। दर्जनों अपहरण और हत्याएं की। हर वारदात के बाद फूलन दुर्गा माता के मंदिर मत्था टेकने जरूर जाती थी। चंबल इलाके से सटे भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी फूलन को सरेंडर कराने की लगातार कोशिश कर रहे थे। मुखबिरों के माध्यम से बातचीत होनी शुरू हुई। काफी मशक्कत के बाद वो खुद भी बीहड़ में जाकर फूलन से मिले। फूलन को कॉन्फिडेंस में लिया। काफी लंबी बातचीत हुई। फूलन ने उन्हें अपने हाथ की बनी बाजरे की रोटियां खिलाईं।

साल 1997 में फूलन ऐसीदिखने लगी थीं।
इसी बीच राजेंद्र चतुर्वेदी ने टेप रिकॉर्डर निकाल कर प्ले कर दिया। उसमें अपनी बहन और मां की आवाज सुन कर फूलन अपनी सुधबुध खो चुकी थी। दरअसल, फूलन से मिलने से पहले राजेंद्र फूलन की मां और बहन मुन्नी से मिल कर आये थे और उन्होंने उनकी बातें रिकॉर्ड कर ली थीं। फिर अचानक फूलन पूछती है, ‘आप मुझसे चाहते क्या हैं?’ चतुर्वेदी कहते हैं, ‘आप आत्मसमर्पण कर दीजिए।’ इतना सुनते ही फूलन उनपर बंदूक तान देती है और कहती है, “तुम क्या समझते हो, तुम्हारे कहने पर मैं हथियार डाल दूंगी? मैं फूलन देवी हूं। मैं तुम्हें इसी वक्त गोली से उड़ा सकती हूं।”