55 साल पुराने काली माता मंदिर को गिराएगा PWD, हाईकोर्ट ने कहा- अनुमति नहीं दे सकते

PWD will demolish 55 years old Kali Mata temple, High Court said – cannot allow
PWD will demolish 55 years old Kali Mata temple, High Court said – cannot allow
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Kali Mata Mandir: देश की राजधानी दिल्ली के मायापुरी चौक के पास स्थित काली माता मंदिर को गिराया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस मंदिर की वजह से यातायात प्रभावित हो रहा था। 55 साल पुरानी इस मंदिर को गिराने से बचाने के लिए पुजारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने मंदिर की मूर्तियों व अन्य पूजा के सामान को किसी दूसरे मंदिर में सुरक्षित करने के लिए कहा है। 20 मई के बाद पीडब्ल्यूडी द्वाररा इस मंदिर को गिराने की कार्रवाई की जा सकती है।

जस्टिस ने कहा यातायात का मुक्त प्रवाह हो रहा बाधित

दिल्ली उच्च न्यायालय की जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कागजात व नक्शा आदि देखने के बाद कहा कि मायापुरी चौक सहित कई जगह का यातायात बाधित हो रहा है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने पुजारी द्वारा मंदिर से मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने और उन्हें अन्य मंदिरों में रखने की अनुमति दे दी है। ऐसा करने के लिए पहले भी धार्मिक समित ने निर्देश दिया था।

मंदिर के पुजारी की याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश

दरअसल, अदालत का आदेश मंदिर के पुजारी और देखभाल करने वाले दुर्गा पी मिश्रा की याचिका पर आया। पुजारी दुर्गा पी मिश्र ने पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी 25 अप्रैल के नोटिस के साथ-साथ धार्मिक समिति की मीटिंग में लिए गए मंदिर ध्वस्त करने के निर्णय को रोकने की मांग की गई थी। धार्मिक समिति ने मीटिंग कर यह निर्णय लिया था कि काली माता मंदिर का ढांचा अनाधिकृत है। मंदिर मुख्य सड़क पर स्थित है। यह यातायात के मुक्त प्रवाह को भी बाधित कर रहा है इसलिए धार्मिक संरचना को हटाया जाएगा।

कोर्ट ने किया हस्तक्षेप से इनकार
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों के मद्देनजर धार्मिक समिति ने निर्णय लिया है। यह न्यायालय वर्तमान याचिका में मंदिर के ढांचे के विध्वंस में हस्तक्षेप नहीं करेगा। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हालांकि मंदिर सार्वजनिक भूमि पर बनाया गया था, लेकिन इससे क्षेत्र में यातायात के प्रवाह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। बताया गया कि मंदिर के पीछे शॉपिंग एरिया में खड़े वाहनों के कारण ट्रैफिक की समस्या है। स्केच और उसके सामने रखी गई तस्वीरों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मंदिर सरकारी भूमि पर है लेकिन पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ और सड़क पर भी अतिक्रमण किया था। कोर्ट इसकी अनुमति नहीं देगा। मंदिर के स्थान के कारण दो सड़कों के कोने में यातायात सुचारू रूप से प्रभावित हो रहा है।

पुलिस की निगरानी में मंदिर को गिराने का आदेश
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कानून-व्यवस्था का संकट न हो इसके लिए लोकल पुलिस को पूरी प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 20 मई 2023 के बाद पीडब्ल्यूडी विध्वंस करने और अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए स्वतंत्र है। कोई बाधा नहीं होगी। याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर मंदिर में मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने की अनुमति दी जाती है ताकि धार्मिक समिति द्वारा निर्देशित अन्य मंदिरों में इसे रखा जा सके।