राजस्थान कांग्रेस नेताओं की कल दिल्ली में बैठक, क्या सुलझेगा गहलोत-पायलट विवाद? बड़े फैसले के संकेत

Rajasthan Congress leaders meeting in Delhi tomorrow, will the Gehlot-Pilot dispute be resolved? big decision signs
Rajasthan Congress leaders meeting in Delhi tomorrow, will the Gehlot-Pilot dispute be resolved? big decision signs
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जयपुर। राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत-पायलट परिवाद निपटाना कांग्रेस पार्टी के लिए गले की फांस बना हुआ है। पार्टी को एकजुट करने के लिए कांग्रेस हाईकमान 29 मई को दिल्ली में बड़ा फैसला करने जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और कुछ प्रमुख नेताओं की अहम बैठक होगी। सोमवार 29 मई को कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के आवास पर यह बैठक होनी प्रस्तावित है। माना जा रहा है चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान राजस्थान को लेकर तस्वीर साफ कर सकता है। सचिन पायलट को सीएम गहलोत और पार्टी के खिलाफ जाने से रोकने के लिए एक फार्मूला भी ऑफर किया जा सकता है।

गहलोत का अनुभव और पायलट की एनर्जी को इस्तेमाल करना चाहती है कांग्रेस
राजस्थान विवाद कई सालों से कांग्रेस आलाकमान के पास पेंडिंग ही चल रहा है। चुनावी साल में कांग्रेस आलाकमान राजस्थान को लेकर रिस्क नहीं लेना चाहती है, क्योंकि बड़े नेताओं की लड़ाई में छोटे भी पिस रहे हैं। मंत्री-विधायक भी इस लड़ाई का अंजाम भोग रहे हैं। इसलिए पार्टी नेतृत्व कुछ ठोस फैसला करना चाहता है, जिसमे गहलोत और पायलट दोनों विन विन कंडीशन और कम्फर्ट ज़ोन में खुदको महसूस कर सकें। इसलिए बीच का रास्ता ही निकाला जाएगा।

2024 लोकसभा चुनाव भी अगले साल होने हैं अशोक गहलोत का राजनीतिक अनुभव इसमें कांग्रेस नेतृत्व के बहुत काम आएगा। इसलिए गहलोत को बिल्कुल भी नाराज नहीं किया जा सकता है। सचिन पायलट के साथ भीड़ है। वह युवा हैं, अच्छी एनर्जी है। अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा पर मजबूत पकड़ होने के कारण देशभर में प्रचार करवाया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में उनके प्रियंका गांधी के साथ लगकर चुनाव प्रचार का फायदा भी पार्टी को मिला। इसलिए उन्हें भी पार्टी खोना नहीं चाहती है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों गुटों को साधने और कांग्रेस सरकार रिपीट कराने के लिए गहलोत और पायलट का हाथ मिलवाना होगा। इसलिए एक जाजम पर आकर एकजुटता की तस्वीर पेश करने की कोशिश पार्टी करेगी।

ये नेता होंगे बैठक में शामिल
दिल्ली की बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और तीनों सह प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौड़, अमृता धवन और काज़ी निजामुद्दीन मौजूद रहेंगे। साथ ही बैठक में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह, पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा और रघुवीर मीणा सरीखे कद्दावर कांग्रेस नेताओं के शामिल होने की चर्चाएं हैं। पहले दौर की बैठक के बाद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के साथ फाइनल बैठक भी गहलोत- पायलट और प्रभारी रंधावा की हो सकती है। इनसे अलग-अलग वन टू वन मुलाकात भी हो सकती है।

सचिन पायलट को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अध्यक्ष और चुनाव स्क्रीनिंग कमिटी में अहम पद दिया जा सकता है। कर्नाटक की तर्ज पर भी फार्मूला तैयार कर किया गया है, जिसके तहत सभी बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। मौजूदा पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को डिप्टी सीएम या कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। दो डिप्टी सीएम और दो कार्यकारी पीसीसी चीफ का भी ऑप्शन खुला रखा गया है। सचिन पायलट के पेंडिंग इश्यू, उनकी डिमांड और उनके खेमे के विधायकों को संतुष्ट करने का काम पार्टी कर सकती है। कांग्रेस हाईकमान अच्छे से जानती कि सचिन पायलट प्रेशर क्रिएट कर रहे हैं। बारगेनिंग के जरिए ही बैठक में समाधान किया जाएगा। पायलट का भविष्य कांग्रेस पार्टी में है, इसलिए वह मान जाएंगे। ऐसा दिल्ली से जुड़े सूत्र बताते हैं। लेकिन कुछ शर्तों के साथ सचिन पायलट को जिम्मेदारियां दी जाएंगी। जिनमें बीजेपी के खिलाफ एग्रेसिव होकर उन्हें मैदान में उतरना होगा। सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार के खिलाफ चुप्पी साधनी होगी। पार्टी में चुनाव तक किसी तरह की बगावत या विरोध नहीं करना होगा।