राजस्थान छात्र संघ चुनाव परिणाम: अगले साल के चुनाव के लिए संकेत

Rajasthan Students Union Election Result: Hints for next year's election
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जयपुर:राजस्थान के कॉलेज-यूनिवर्सिटीज में चले चुनावी घमासान का रिजल्ट सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के लिए चौंकाने वाला है। छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस के संगठन एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान यूनिवर्सिटी से जहां कांग्रेस के छात्र संगठन को निराशा हाथ लगी है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में भी एनएसयूआई को शिकस्त मिली है। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में भी एनएसयूआई बुरी तरह पराजित हुई है। यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और NSUI अध्यक्ष भी छात्रसंघ चुनाव को अपने क्षेत्रों में जिताने में नाकाम रहे हैं।

जोधपुर की हार सबसे बड़ा जवाब
राजनीतिक विशलेषकों की ओर से जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में हुई एनएसयूआई की हार सबसे बड़ी शिकस्त के तौर पर देखी जा रही है। इसकी बड़ी वजह यह है कि सूबे के मुख्यमंत्री यहां से आते हैं। वहीं सियासी संकट के बाद एनएसयूआई के छात्र संगठन के अध्यक्ष बने अभिषेक चौधरी भी जोधपुर जिले के ही रहने वाले हैं। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार जेएनयूवी में जीत सुनिश्चित करने के लिए एनएसयूआई सहित कांग्रेस संगठन ने एड़ी – चोटी का जोर लगा रखा था। सीएम पुत्र वैभव गहलोत लगातार यहां एनएसयूआई जीत के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे, लेकिन अभिषेक चौधरी से लेकर वैभव गहलोत की रणनीति यहां काम नहीं आ पाई।

राजस्थान यूनिवर्सिटी में सचिन पायलट समर्थक को मिली जीत
प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई के बजाय छात्रों ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सचिन पायलट समर्थक निर्मल चौधरी को चुना। बताया जा रहा है कि निर्मल चौधरी को सचिन पायलट टीम के प्रमुख सदस्य के तौर पर पहचान रखने वाले विधायक मुकेश भाकर और विधायक रामनिवास गावड़िया का समर्थन प्राप्त था। ये दोनों नेता भी राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति के जरिए ही विधायक की कुर्सी तक पहुंचे हैं। हालांकि सीधे तौर मुकेश भाकर और गावड़िया की ओर से निर्मल की कैंपेनिंग नहीं की गई, लेकिन चुनाव परिणाम से पहले निर्मल और उनके समर्थकों के साथ मारपीट में पुलिस कार्रवाई को गलत बताते हुए भाकर ने यह साफ कर दिया था कि वह निर्मल के साथ हैं।

बड़े मंत्रियों के इलाकों में एनएसयूआई की हार
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को ना सिर्फ जोधपुर और जोधपुर शहर में असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन एजुकेशन सिटी में भी उनकी चमक फीकी रह गई। यहां से गहलोत के खास नजदीकी माने जाने वाले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल आते हैं, लेकिन फिर भी कोटा यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा है। इसी तरह मंत्री बीडी कल्ला और मंत्री भंवर सिंह भाटी के जिले बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी और वेटरनरी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई हार गई है। चार मंत्रियों और दो बोर्ड चेयरमैन वाले जिले भरतपुर में महाराजा सूरजमल यूनिवर्सिटी में एबीवीपी जीत गई।

यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के क्षेत्र डूंगरपुर में भी हार
यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा के क्षेत्र में भी एनएसयूआई को हार का सामने करना पड़ा है। यहां आदिवासी इलाके डूंगरपुर, बांसवाड़ा में एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा के निर्वाचन क्षेत्र डूंगरपुर से लेकर पूरे जिले के चारों कॉलेजों में बीटीपी के छात्र संगठन की जीत हुई है। वहीं यहां बांसवाड़ा में गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी और कॉलेजो में एबीवीपी ने कांग्रेस को हराया है। आदिवासी क्षेत्र में इन नतीजों ने इस इलाके के युवाओं का रुझान साफ कर दिया है।

विधानसभा चुनाव का यह माना जा रहा है ब्लूप्रिंट
पूरे राजस्थान में कांग्रेस के छात्रसंगठन के करारी हार के बाद जहां पार्टी में नेताओं में भी खलबली मची हुई है। वहीं इस परिणाम को राजनीति के पंडित साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि सीएम अशोक गहलोत की योजनाओं और उनके दावे और वादे युवा वोटर्स पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके हैं। यहां तक कि सीएम की ओर से अगला बजट युवाओं पर फोकस करने की घोषणा भी काम नहीं आई है। इधर करारी हार के बाद विपक्ष ने प्रदेश में एक बार फिर एंटी इंकमबेंसी होने का दावा कर दिया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस हार को परिवाद से जोड़ते हुए कटाक्ष किया है।

हालांकि राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि विधानसभा चुनावों के समीकरण, मुद्दे और वोटिंग पैटर्न इन चुनावों से पूरी तरह अलग होते हैं, लेकिन कांग्रेस के छात्र संगठन के प्रदेशभर में सुपड़ा साफ हो जाना की इस स्थिति ने प्रदेश कांग्रेस के सामने बड़ी तस्वीर खींच दी है, जिस पर पार्टी नेताओं को मंथन करना होगा। जानकारों का कहना है कि अक्सर देखने में आता है कि यूथ वोटर्स का जिधर रुझान होता है, सत्ता उसी तरफ मूड जाती है, लिहाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले इस समीकरण को समझते हुए नई रणनीति तैयार करनी होगी।

यह है राजस्थान छात्रसंघ चुनाव की ओवरऑल तस्वीर
राजस्थान की 14 यूनिवर्सिटी के रिजल्ट के अनुसार 7 में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। वहीं अन्य 5 विश्वविद्यालयों में ABVP ने जीत का परचम लहराया है। छात्रसंघ चुनाव में NSUI कहीं भी नहीं टिक पाया है। एक भी यूनिवर्सिटी में NSUI का अध्यक्ष नहीं बन पाया है।