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भोपाल: मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल का विस्तार फिलहाल टल गया है। इसका कारण शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह जैसे दिग्गजों की भूमिका के साथ ही जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का पेच फंसना बताया जा रहा है। इसको लेकर कोई भी कुछ नहीं बता पा रहा है। हालांकि, चर्चा है कि भाजपा नेतृत्व नए सिरे से समीकरण साधने में जुटा है।
मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के साथ मुख्यमंत्री दोबारा दिल्ली जाकर चर्चा करेंगे। यह मुलाकात विधानसभा सत्र के बाद हो सकती है। इसके बाद मंत्रिमंडल पर मुहर लगेगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा नेतृत्व जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर मंत्रियों के नाम तय करना चाह रहा है। लेकिन संतुलन नहीं बन पा रहा है। इस बार एक लोकसभा क्षेत्र से एक मंत्री के फॉर्मूले पर भी चर्चा चल रही है। इसमें पूर्व सीएम शिवराज, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व सांसद राकेश सिंह का समायोजन भी चुनौती बना हुआ है। इसमें शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय नेतृत्व बड़ी जिम्मेदारी देकर केंद्र में लेने का इच्छुक बताया जा रहा है। इसको लेकर पूर्व सीएम शिवराज और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मंगलवार को दिल्ली में मुलाकात भी भी हुई।
दिग्गजों की भूमिका पर अटका मामला
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि कैलाश विजयवर्गीय को मंत्री बनाया जाता है तो इंदौर से तीन बार के विधायक रमेश मेंदोला को एडजस्ट करने को लेकर मामला फंस रहा है।
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, पूर्व सांसद राकेश सिंह, पूर्व सांसद रीति पाठक और पूर्व सांसद राव उदय प्रताप सिंह को केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में मंत्री बनाना चाह रहा है। लेकिन प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह बड़े नाम हैं। इनकी भूमिका को लेकर शीर्ष नेतृत्व कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है। अब बताया जा रहा रहा है कि 22-23 दिसंबर को दिल्ली में भाजपा की होने वाली बड़ी बैठक से पहले सभी समीकरण को साध कर निर्णय लिया जा सकता है।