डॉक्टर ने आंख निकालकर लगा दी खेलने वाली कंचे की गोली, 8 को किया अंधा

The doctor fired a marble bullet with his eye, blinded 8
The doctor fired a marble bullet with his eye, blinded 8
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Jamshedpur Eye Scandal: आंख हमारे शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है. इससे हम इस खूबसूरत दुनिया को देखते हैं. अब आप कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति अपने आंख के इलाज के लिए अस्पताल जाता है, उसका ऑपरेशन किया जाता है और फिर उसे बाद में पता चलता है कि उसके एक आंख को निकालकर उसकी जगह कांच की गोली लगा दी गई है. तब प्रतिक्रिया क्या होगी…? जी हां…आप बिलकुल सही सुन रहे हैं….आंख को निकालकर कांच की गोली लगा दी गई. ये घटना इंसानियत के साथ सबसे बड़ी क्रूरता है. डॉक्टर के पेशे पर सबसे बड़ा कलंक है और लाचार-गरीब लोगों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है. ये सिस्टम की आम लोगों के साथ सबसे बड़ी गद्दारी है. आइये आपको इस दरिंदगी के बारे में विस्तार से बताते हैं जिसके बारे में सोचकर ही दिल दहल जाता है.

झारखंड के जमशेदपुर की घटना

ये घटना झारखंड के जमशेदपुर से केवल 45 किलोमीटर दूर घाटशिला की है. यहां 8 बुजुर्गों के साथ मोतियाबिंद के इलाज के नाम पर उनकी जिंदगी से सबसे बड़ा खिलवाड़ किया गया है. दरअसल एक महिला ने किसी NGO से जुड़े होने का दावा करके इन बुजुर्गों को मुफ्त में इजाल कराने का भरोसा दिलाया. फिर इन बुजुर्गों का KCC Eye Hospital में ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दूसरे दिन सभी को घर भेज दिया गया.

हाथ में निकल आई आंख!

कुछ दिन बाद जिन लोगों का ऑपरेशन किया गया था उसमें एक बुजुर्ग गंगाधर सिंह के आंख में खुजली और जलन होने लगी. जिसके बाद गंगाधर सिंह को जमशेदपुर, रांची और कोलकाता ले जाकर दिखाया गया. हालांकि डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई. वहीं उसकी आंख में लगातार दिक्कत हो रही थी. 7 अक्टूबर को जब गंगाधर की आंखों में बहुत ज्यादा जलन और खुजली हुई तो उन्होंने अपने आंखों को खुजलाना शुरू किया. और इसी दौरान ऑपरेशन वाले आंख से सफेद कांच की गोली बाहर निकल आई. यानी गंगाधर सिंह के एक आंख को निकालकर उसकी जगह कांच की गोली लगा दी गई थी .

डॉक्टर ने निकाल ली आंख

इसके बाद पीड़ित को घाटशिला अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया. वहां के डॉक्टर ने जब इस आंख का चेकअप किया तो वो भी चौंक गए. उसके बाद मरीज को एमजीएम अस्पताल रेफर किया गया. इस घटना का खुलासा होने के बाद सिविल सर्जन घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. वहीं, पीड़ित बुजुर्ग गंगाधर सिंह के घरवालों ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद शिकायत दर्ज कर ली गई है. लोगों में इस घटना के बाद बहुत गुस्सा है और वो दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

बख्शा नहीं जाएगा दोषियों को

इस घटना का खुलासा होने के बाद सिविल सर्जन घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. वहीं, पीड़ित बुजुर्ग गंगाधर सिंह के घरवालों ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद शिकायत दर्ज कर ली गई है. लोगों में इस घटना के बाद बहुत गुस्सा है और वो दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

प्रशासन ने किया ये वादा

प्रशासन की ओर से वादा किया गया है कि जिन डॉक्टरों ने ये ऑपरेशन किया है और जिस KCC Eye Hospital में ये ऑपरेशन हुआ है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ये घटना दिल दहलाने वाली है. सोचिए जरा इस बुजुर्ग की क्या गलती थी. क्या गरीब होना अपराध है. क्या गरीब लोगों को जीने का हक नहीं है. क्या स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर उनकी आंखों की रौशनी छिन ली जाएगी. और क्या ऐसे डॉक्टरों को खुलेआम छोड़ देना चाहिए. मानवीय अंगों को धोखे से निकालकर उसकी तस्करी करने की सबसे बड़ी वजह ये है कि इससे भारी कमाई होती है. दरअसल देश में अंगदान की परंपरा बेहद कम है. अलग-अलग वजह से लोग अंगदान करने से बचते हैं. लेकिन लाखों लोगों को इलाज के लिए मानवीय अंगों की जरुरत होती है और इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग धोखे से किसी का कोई भी अंग निकालकर बेच देते हैं.

अंगदान करने से बचते हैं लोग

हर साल करीब 4 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत होती है, जबकि हर साल 8-9 हजार किडनी ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं. इतना कम किडनी ट्रांसप्लांट होने की बड़ी वजह ये है कि डोनर बेहद कम होते हैं. डोनर यानी वो व्यक्ति जो मानवीय अंग दान देता है. सामान्य तौर पर ये डोनर रिश्तेदार ही होते हैं. या ऐसे लोग होते हैं जिसे पैसे देकर खरीदा जाता है. मांग और सप्लाई के इस अंतर का फायदा middle man उठाता है. जो कभी धोखे से तो कभी पैसे देकर गैरकानूनी तरीके से किडनी खरीदता और बेचता है.

WHO की चौंका देने वाली रिपोर्ट

WHO के मुताबिक भारत में कुल किडनी ट्रांसप्लांट में करीब 2000 ट्रांसप्लांट गैरकानूनी तरीके से होता है. जबकि दुनिया में करीब 10 प्रतिशत ट्रांसप्लांट गैरकानूनी होता है. WHO के मुताबिक दुनिया में गैरकानूनी तरीके से मानवीय अंगों के ट्रांसप्लांट का कारोबार करीब 13 हजार 940 करोड़ रुपये हैं. हालांकि कई जानकारों का मानना है ये आंकड़ा इससे काफी ज्यादा हो सकता है. मानवीय अंगों के ट्रांसप्लांट को लेकर 1994 में कानून बनाया गया था. इसका मकसद मानवीय अंगों की तस्करी को रोकना था. लेकिन इस कानून के बावजूद मानवीय अंगों की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलता रहा. और ये कानून मानव अंगों की तस्करी को रोकने में सक्षम साबित नहीं हुआ. फिर वर्ष 2011 में इसमें संशोधन किया गया. इसके तहत मानव अंगों की तस्करी करने वालों को 10 साल तक की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.