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मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में 5 मोहर्रम का जुलूस रवायती अंदाज में निकला। शिया सोगवारों ने रोते हुए इमाम हुसैन को याद किया। नोहाख्वानी करते हुए बयां किया ‘सैयदा के लाल तुझको उम्रभर रोएंगे हम, हम फकत पैदा हुए रोने-रुलाने के लिए’। चारों और मातमपुरसी और जुलूस के साथ चल रही सैदानियों (शिया महिलाएं) के रोने की आवाज से माहौल गम में तब्दील रहा। बकरा मार्केट इमामबारगाह में मजलिस के बाद शुरू हुआ जुलूस खादरवाला आरफी इमामबारगाह पर समाप्त हुआ।
इमाम हुसैन की कुर्बानियों से जिंदा हुआ दीन
गुरुवार को मोहर्रम की 5वीं तारीख पर बकरा मार्केट इमामबारगाह पर मजलिस हुई। जिसको मौलाना सत्तार हुसैन ने खिताब (संबोधित किया) फरमाया। मौलाना ने नवासाए रसूल इमाम हुसैन का मरतबा बयां किया। मौलाना ने फरमाया कि इमाम हुसैन ने करबला के मैदान में अपनी और परिवार वालों की कुर्बानियां पेश कर अपने नाना के दीन को बचा लिया। उन्होंने फरमाया कि अच्छाई की पहचान और हक को जिंदा रखने के लिए ही इमाम हुसैन ने शहादत पेश की। मजलिस के बाद जुलूस निकला। जिसमें जुलजुनाह (घोड़ा इमाम) की जियारत कर सोगवार रो पड़े। अंजुमन दुवाए जहरा के इंतजार हुसैन ने बताया कि शिया सोगवारों का जुलूस बकरा मार्केट से मोती महल, सर्राफा बाजार, कटेहरा सैयादान, लोहिया बाजार से होता हुआ कस्सावान से खालापार एवं इमामबारगाह अबुपुरा पहुंचा। जहां से होता हुआ जुलूस खादरवाला इमामबारगाह आरफी पर आकर समाप्त हुआ। जुलूस के दौरान शबी हैदर ने नोहाख्वानी की। लारेब, अजमी, सब्तैन, अली मियां आदि नोहाख्वानी तथा सीनाजनी करते हुए आगे बढ़े।