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चंडीगढ़: शहरीकरण और औद्योगीकरण के लिए अब हरियाणा में किसानों की जमीनों का जबरदस्ती अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। किसानों को स्वेच्छा से जमीन खरीदी जाएगी। इसके साथ ही अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश में लैंड बैंक तैयार किया जाएगा, ताकि परियोजनाओं को समय पर जमीन मिल सके और विकास कार्य जल्दी हो सकें। इस संबंध में शुक्रवार को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने हरियाणा लैंड पुलिंग पॉलिसी-2022 की अधिसूचना जारी की है।
गौरतलब है कि इस पॉलिसी को 29 जुलाई को हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई थी। किसानों की इच्छा से जमीन मिलने के बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) प्रकाशित विकास योजना में शहरी क्षेत्र के भीतर स्थित आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत और बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। इसके अलावा, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआईआईडीसी) भी हरियाणा में नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित करेगा। भूमालिकों को भूमि अधिकार प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
नीति के तहत कोई भी भूमि मालिक सीधे या एग्रीगेटर के माध्यम से आवेदन मांगने के 60 दिनों के भीतर परियोजना के लिए भूमि की पेशकश कर सकेंगे। इस अवधि को आवश्यकता अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है, जो 30 दिनों से अधिक नहीं होगी। आवेदन के लिए कोई शुल्क नहीं होगा और आवेदन केवल ऑनलाइन जमा करेंगे।
भूमि के बदले भूमि भी ले सकेंगे किसान
भू मालिक भूमि के बदले विकसित भूमि भी ले सकते हैं। यह परियोजना की कुल लागत में भूमि मालिकों की दी गई अविकसित भूमि के बाजार मूल्य पर आधारित होगी। विकास परियोजना के लिए योगदान करने वाले प्रत्येक भू मालिक को वार्षिक अंतरिम वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसे परियोजना की कुल लागत में शामिल किया जाएगा। यदि एग्रीगेटर के माध्यम से भूमि की पेशकश की जाती है तो एग्रीगेटर पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र होगा। बशर्ते कि पारिश्रमिक 0.5 प्रतिशत से कम न हो।