पैरेंट्स की ये गलतियां बच्‍चे को बना रही हैं बुद्धु बक्‍सा, 90 पर्सेंट लोग कर रहे हैं ऐसी हरकतें

These mistakes of parents are making the child a stupid box, 90% people are doing such acts
These mistakes of parents are making the child a stupid box, 90% people are doing such acts
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पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्‍चे खुश रहें और अपनी जिंदगी के हर पहलू में सफल हों। कुछ पैरेंट्स अपने बच्‍चे का हौंसला बढ़ाने में फेल हो जाते हैं। बच्‍चे को अपनी गलतियों से सीखने और कोशिश करने की प्रेरणा देने की बजाय पैरेंट्स उन्‍हें हतोत्‍साहित कर देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पैरेंट्स को यह समझ होनी चाहिए कि उन्‍हें बच्‍चे को क्‍या चीज कैसे सिखानी है और किस तरह उसकी आलोचना करने से बचना है ताकि बच्‍चे का उस काम से मन ना हटे बल्कि हार मिलने पर भी वो जीतने तक बार-बार कोशिश करे। यहां हम आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जो अक्‍सर पैरेंट्स करते हैं और उनकी इन गलतियों की वजह से बच्‍चे का आत्‍म-विश्‍वास टूट जाता है।

बच्‍चे को जिम्‍मेदार बनाएं
जो पैरेंट्स सोचते हैं कि उनके बच्‍चे चुनौतियों का सामना करने और जिम्‍मेदारी उठाने के लिए अभी नासमढ हैं, वो ही पैरेंट्स बच्‍चे के गलती करने पर उसे जज करते हैं। अपने बच्‍चे को गलती करने और गिर कर उठना सीखने के लिए खुला आसमान दें। उसे बाहर की दुनिया को समझने का मौका दें। घर के छोटे-मोटे काम करने से ही

जो पैरेंट्स सोचते हैं कि उनके बच्‍चे चुनौतियों का सामना करने और जिम्‍मेदारी उठाने के लिए अभी नासमढ हैं, वो ही पैरेंट्स बच्‍चे के गलती करने पर उसे जज करते हैं। अपने बच्‍चे को गलती करने और गिर कर उठना सीखने के लिए खुला आसमान दें। उसे बाहर की दुनिया को समझने का मौका दें। घर के छोटे-मोटे काम करने से ही बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा। आप उसे कॉन्फिडेंट बनाएं ना कि डरपोक।

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​खुद लड़ने दें
प्रोटेक्टिव पैरेंट्स हमेशा अपने बच्‍चों के निर्णयों में दखल देते हैं। बच्‍चे को सही रास्‍ता दिखाने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उसकी जिंदगी को अपने कंट्रोल में रखना बिलकुल गलत है। बच्‍चे को अपनी पसंद-नापसंद खुद चुनने दें। गलतियां सबसे बेहतर शिक्षक होती हैं और उसे इनसे सीखने का मौका दें।

​इमोशनल विकास
जिंदगी में भावनाओं का बहुत महत्‍व होता है। बच्‍चे के विकास में इमोशनल डेवलपमेंट भी अहम होती है। अपने बच्‍चे को अपनी भावनाओं को समझना सिखाएं। प्रैक्टिकल और पॉजिटिव सोच से ऐसा हो सकता है। उसे अपनी कमजोरियों को जानने और उन्‍हें ठीक करने का मौका दें।

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​इस तरह की बातें ना करें
बच्‍चे से इस तरह की बातें ना कहें ‘हम गरीब हैं इसलिए इसे अफोर्ड नहीं कर सकते हैं’ या ‘परिवार की समस्‍याओं की वजह से दूसरे पैरेंट्स की तरह इंजॉय नहीं कर सकते हैं’।

इससे बच्‍चे के दिमाग में विक्टिम मानसिकता बनने लगती है और वो नए अवसरों के लिए बहाने ढूंढने लग सकता है। उसे लगने लगेगा कि उसके पास चीजों का अभाव है या वो दूसरों की तरह भाग्‍यशाली नहीं है।

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​बेकार है पनिशमेंट
कुछ पैरेंट्स को लगता है कि पनिशमेंट से बच्‍चे के व्‍यवहार में सुधार आता है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है। पनिशमेंट से बच्‍चे विद्रोही भी बन सकते हैं। अपने बच्‍चे को उसकी गलती का एहसास प्‍यार से और धैर्य से करवाएं। इससे आपके बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा और वो सही एवं गलत के बीच पहचान कर पाएगा।