राजस्थान के वो 3 बड़े मंदिर जहां देवी मां को चढ़ाई जाती है शराब

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जयपुर: राजस्थान में कई ऐसे बड़े मंदिर हैं, जहां से लोगों धार्मिक भावनाएं बेहद अलग अंदाज के साथ जुड़ी हुई हैं। आस्था के प्रतीक इन मंदिरों की ऐसी मान्यताएं हैं कि इन मंदिरों में जाकर मन्नत मांगने से हर मुराद पूरी होती है। प्रदेश के कुछ देवी मंदिर ऐसे भी हैं जहां शराब का भोग लगता है। यानी देवी मां को प्रसाद के रूप में शराब चढाई जाती है। देवी मां शराब का प्रसाद पाकर प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मन्नतें पूरी करती हैं। चैत्र नवरात्रि के मौके पर जानते राजस्थान के कुछ ऐसे देवीय मंदिरों के बारे में, जिनकी पहचान निराली है।

आमेर का शीला माता मंदिर
​जयपुर शहर के पास आमेर किला परिसर में शीला माता का मंदिर है। यहां देवी दुर्गा की पूजा काली माता के रूप में की जाती है। कहा जाता है कि जयपुर के राजा मानसिंह जब केदार से हार गए थे तब उन्होंने काली देवी से जीत की प्रार्थना की थी। रात को उनके सपने में देवी मां प्रकट हुई और जीत का वरदान दिया। राजा मानसिंह की मुराद पूरी हुई तो उन्होंने अपने महल में ही माता रानी का मंदिर स्थापित कर दिया। इस मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नवरात्रि के दौरान माता के इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

नागौर का भुवाल माता मंदिर
​राजस्थान के नागौर जिले में मेड़ता के पास भुवाल माता का मंदिर है। देवी दुर्गा के इस मंदिर में भी शराब का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कोई भी भक्त जब अपनी आंखें बंद करके मां की प्रतिमा के समक्ष प्रसाद के रूप में शराब का प्याला आगे करता है तो मां दुर्गा प्रसन्न होकर शराब को स्वीकार कर लेती है और शराब का प्याला तुरंत ही खाली हो जाता है। बची हुई शराब को वहां स्थित भैरव मंदिर में चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भुवाल माता के मंदिर का निर्माण डाकुओं ने करवाया था। बताया जाता है कि वहां एक पेड़ के नीचे देवी मां स्वयं प्रकट हुई थी जिसके बाद डाकुओं ने देवी मां के मंदिर का निर्माण कराया। नवरात्रि के दौरान सैंकड़ों किलोमीटर दूर से भक्त देवी मां के दर्शन करने आते हैं।

टोंक का दुणजा माता मंदिर
टोंक से 40 किलोमीटर दूर दूणी गांव में दुणजा माता का मंदिर है। टोंक से देवली रोड पर 20 किलोमीटर आगे चलने पर नेशनल हाईवे से 20 किलोमीटर अंदर दूनी गांव है। वहां पर देवी मां का मंदिर है जो अपने आप में विशेष ख्याति लिए हुए है। यहां देवी मां को शराब का भोग लगाया जाता है। यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है। कहा जाता है कि यहां देवी मां पाषाण के रूप में स्वयं प्रकट हुई थी। कुछ साल पहले तक खुले में शराब का भोग लगाया जाता था लेकिन कुछ वर्षों शराब के भोग के दौरान पुजारी की ओर से पर्दा लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी मां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी करती है।