उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून, इन 5 प्वाइंट के जरिए समझिए क्यों है यह देश का सबसे कड़ा कानून

Uttarakhand's anti-copying law, through these 5 points, understand why it is the most stringent law in the country
Uttarakhand's anti-copying law, through these 5 points, understand why it is the most stringent law in the country
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देहरादून: उत्तराखंड में सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर दिया गया है। प्रदेश में छात्रों के आक्रोश, विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़कने के बाद पुष्कर सिंह धामी सरकार कड़े कानून को लागू करने का फैसला लिया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही इस कानून को लागू किए जाने की बात कही थी। छात्रों के हंगामा के बीच नकल विरोधी अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी दी गई। इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम और रोकथाम के लिए उपाय) अध्यादेश 2023 को मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजे जाने के 24 घंटे के भीतर कानून को मंजूरी दिए जाने के बाद सीएम धामी ने राज्यपाल का आभार जताया। इस कानून के तहत कड़े प्रावधान किए गए हैं। नकल माफिया पर लगाम लगाने के लिए 10 करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ-साथ आजीवन कारावास या 10 साल की जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नकल माफिया की संपत्ति कुर्क भी की जाएगी। पेपर लीक करने वाले छात्रों पर भी कड़ा ऐक्शन होगा। इसको देखते हुए एंटी कॉपीइंग लॉ को देश सबसे बड़ा नकल विरोधी कानून बताया जा रहा है। आइए पांच प्वाइंट में समझते हैं, क्यों इसे कड़ा कानून माना जा रहा है।

उत्तराखंड एंटी कॉपीइंग लॉ के तहत छात्रों के पेपर लीक किए जाने के मामले में भी कड़ी कार्रवाई का फैसला लिया गया है। एक्ट में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई छात्र भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करता है, या फिर नकल करके परीक्षा पास होता है तो उस छात्र पर 10 वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर कोई छात्र इस प्रकार की गतिविधि में लिप्त पाया गया तो वह 10 वर्षों तक किसी भी भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा। वह भर्ती परीक्षाओं में हिस्सा नहीं बन पाएगा। ऐसे छात्रों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाएगा। साथ ही, उसकी संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी। यह नियम प्रश्न पत्र लीक करने वाले और उसे खरीद कर बेईमानी से परीक्षा पास करने वाले छात्रों पर लागू होगा।

संगठित नकल को रोकने की कवायद
प्रदेश में संगठित नकल को रोकने की कवायद इस कानून के जरिए की गई है। अध्यादेश लागू होने की तिथि से ही प्रभावी हो गया है। अध्यादेश में संगठित होकर नकल कराने और अनुचित साधनों में संलिप्तता को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस प्रकार के मामलों में आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही आरोपियों की संपत्ति को भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है। एंटी कॉपीइंग लॉ के तहत इस प्रकार के अपराध को संज्ञेय, गैर-जमानती और अशमनीय करार दिया गया है।

10 साल की सजा, 10 करोड़ का जुर्माना
भर्ती परीक्षा में अगर कोई छात्र स्वयं नकल करते हुए पकड़ा गया, या फिर वह नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया गया तो ऐसे मामलों में 3 साल की सजा दी जाएगी। इस प्रकार के केस में कम से कम 5 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अगर वही अभ्यर्थी दूसरी बार किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में नकल करने या कराने का दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 10 साल की सजा होगी। साथ ही, कम से कम 10 लाख रुपए का जुर्माना संबंधित छात्र पर लगाया जाएगा। भर्ती परीक्षाओं के दौरान अगर कोई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, सर्विस प्रोवाइडर संस्थान, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाते हैं। इसमें पेपर लीक शामिल है। ऐसे मामलों में उनकी संलिप्तता आने पर संबंधित व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपए का जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

अभ्यर्थियों के लिए भी कड़े नियम
अभ्यर्थियों को विशेष रूप से भर्ती परीक्षाओं के दौरान नकल करने और पेपर लीक से दूर रहने का संदेश दिया गया है। कानून के तहत साफ किया गया है कि अगर कोई अभ्यर्थी नकल करते पाया गया तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से 2 से 5 वर्ष तक के लिए उसे दोबारा भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी जाएगी। दोष साबित होने पर उसे 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षाओं में शामिल होने से सस्पेंड कर दिया जाएगा। दोबारा नकल करता पकड़े जाने पर आरोप पत्र दाखिल किए जाने की तिथि से 5 से 10 साल के लिए अभ्यर्थी का निलंबन होगा। दोष साबित होने की स्थिति में अभ्यर्थी पर आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी जाएगी।

भर्ती परीक्षाओं में लागू होगा कानून
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में आगे होने वाली तमाम भर्ती परीक्षाओं में नकल विरोधी कानून लागू होगा। नकल अध्यादेश के प्रावधानों के जरिए सरकार माफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले की जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत मिली है, सभी को रद्द कर दी गई हैं। नई तिथियों की घोषणा हुई है। उत्तराखंड परिवहन की बसों में अभ्यर्थियों के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई। परीक्षा फॉर्म का शुल्क भी नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि नकल करते पकड़ाने वाला परीक्षार्थी चार्जशीट दायर होने की तिथि से दो से पांच साल तक डिबार रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं का हित चाहती है।