बीजेपी ने राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे पर क्यों लगाया दांव? सीपी जोशी के पार्टी की कमान संभालने के पीछे यही पूरा प्लान

Why did BJP bet on a Brahmin face in Rajasthan? This is the whole plan behind CP Joshi taking charge of the party
Why did BJP bet on a Brahmin face in Rajasthan? This is the whole plan behind CP Joshi taking charge of the party
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जयपुर: बीजेपी के चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी (Rajasthan BJP President CP Joshi) को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर राजस्थान में ब्राह्मण राजनीति केंद्र बिंदु बन गया है। इस समुदाय के राजनीतिक महत्व पर एक बार फिर से रेगिस्तानी राज्य में चर्चा शुरू हो गई है। नेताओं ने कहा कि बीजेपी ने सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर राजस्थान में अपने सबसे महत्वपूर्ण वोट बैंक में से एक, ब्राह्मण समुदाय को साधने की कोशिश की है। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि इस फैसले से प्रभावित होने वाले अन्य जातीय समीकरणों को बीजेपी कैसे संभालेगी।

चुनाव से पहले बीजेपी का ब्राह्मण चेहरे पर दांव
यह कोई संयोग नहीं है कि सीपी जोशी राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष बने हैं। इस समाज के राजनीतिक महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में जयपुर में आयोजित ब्राह्मण महापंचायत में बीजेपी-कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने शिरकत की। जिसमें उन्होंने मजबूत राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग की। पिछले कई साल से, इस समुदाय का कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति में बहुत कम प्रतिनिधित्व था।

ब्राह्मण राजनीति आई केंद्र में
इससे पहले 2009 से 2013 के बीच अरुण चतुर्वेदी बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष थे। उनसे पहले महेश चंद्र शर्मा, ललित किशोर चतुवेर्दी, भंवरलाल शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल और हरिशंकर भाभद्र अध्यक्ष थे। बीजेपी ने नौ साल बाद ब्राह्मण समुदाय के किसी दिग्गज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दूसरी ओर, कांग्रेस में 2007 से 2011 के बीच ब्राह्मण नेता ने अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनसे पहले कई प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण थे। जिनमें बी.डी. कल्ला, गिरिजा व्यास, गिरधारी लाल व्यास और जयनारायण व्यास शामिल रहे।

अभी राज्य में 17 ब्राह्मण विधायक
हालांकि, कांग्रेस में पिछले 12 साल से इस पद पर किसी भी ब्राह्मण नेता को मौका नहीं मिला। वर्तमान में राजस्थान में 17 ब्राह्मण विधायक हैं। इनमें दो कैबिनेट मंत्री हैं- डॉ. बीडी कल्ला और डॉ. महेश जोशी। इसके अलावा दो ब्राह्मण सांसद हैं- सी.पी. जोशी और घनश्याम तिवारी। वहीं, केंद्र में राजस्थान से कोई ब्राह्मण मंत्री नहीं है। इसलिए सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या रेगिस्तानी राज्य में ब्राह्मणों का मजबूत प्रतिनिधित्व होगा या नहीं?

बीजेपी के इस दांव का क्या होगा असर?
इस बीच, 2023 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजस्थान में राजनीतिक दलों के साथ-साथ विभिन्न समाज और संगठन भी सक्रिय होते जा रहे हैं। नेता भी समाज से जुड़ने और अपनी जाति और समुदायों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए आवाज बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। पिछले दो सप्ताह के परिदृश्य का आंकलन करें तो जाट और ब्राह्मण समुदाय ने बड़ी-बड़ी सभाएं कर अपनी ताकत दिखाई है। जाट महाकुंभ जहां 5 मार्च को जयपुर में हुआ था, वहीं ब्राह्मण महापंचायत 19 मार्च को ही जयपुर में हुई थी। अब दो अप्रैल को जयपुर में राजपूतों की बड़ी पंचायत होगी।