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उत्तराखंड हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, इस बार की यात्रा के दौरान अब तक 20 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. वजह रही है एल्टीट्यूड सिकनेस और दिल से जुड़ी बीमारियां. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वाले ज़्यादातर लोगों की उम्र 60 साल से ज़्यादा थी और वो दिल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे. 10 से 12 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर जाने से ये दिक्कत और बढ़ी. साल 2019 में 38 लाख लोगों ने ये यात्रा की थी. जिसमें से 90 लोगों की मौत हो गई थी. 2017 में 112 और 2018 में 102 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी.
ये आकड़े काफ़ी दुखद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ज़्यादा ऊंचाई पर इस तरह का ख़तरा क्यों आता है? उत्तराखंड हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक इन मौतों का कारण है एल्टीट्यूड सिकनेस. जिन लोगों को दिल से जुड़ी समस्याएं हैं, उन्हें ज्यादा ख़तरा होता है. चार धाम की यात्रा हो या छुट्टियों के दौरान पहाड़ों की सैर. हर साल लाखों लोग काफ़ी ऊंचाई वाली जगहों पर जाते हैं. ऐसे में डॉक्टर्स से जानते हैं कि एल्टीट्यूड सिकनेस क्या होती है और इससे ख़ुद को कैसे बचा सकते हैं? साथ ही पता करते हैं कि दिल से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों को ऊंचाई पर ज़्यादा ख़तरा क्यों होता है?
एल्टीट्यूड सिकनेस क्या और क्यों होती है?
ये हमें बताया डॉक्टर राजीव कुमार ने.
डॉक्टर राजीव कुमार, एमडी मेडिसिन, कपूर हॉस्पिटल, उत्तराखंड
-ज़्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर अक्सर कुछ लोगों को शारीरिक परेशानियां होती हैं.
-तकलीफ़े आती हैं.
-जिनको एल्टीट्यूड सिकनेस कहा जाता है.
-एल्टीट्यूड सिकनेस होने का मुख्य कारण है पहाड़ों पर ऑक्सीजन का दबाव कम होना.
-जिससे कारण दिक्कत होती है.
इससे किस तरह के हेल्थ रिस्क हो सकते हैं?
-एल्टीट्यूड सिकनेस में आमतौर पर कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं:
-सिर दर्द
-चक्कर आना
-उल्टियां
-पेट में दर्द
-सांस फूलना
-ज़्यादा तबियत बिगड़ने पर पेशेंट को रेस्पिरेटरी फेलियर हो सकता है.
-कार्डियक फेलियर हो सकता है.
-बेहोशी हो सकती है.
-जान भी जा सकती है.
किन लोगों को इससे ख़तरा रहता है?
-एल्टीट्यूड सिकनेस हालांकि किसी को भी हो सकती है.
-लेकिन कुछ लोग इसके ज्यादा रिस्क पर होते हैं.
-जैसे जिन लोगों को दिल की बीमारियां हैं.
-सांस की बीमारियां हैं.
ज़्यादा तबियत बिगड़ने पर पेशेंट को रेस्पिरेटरी फेलियर हो सकता है
-प्रेगनेंट औरतें.
-इन लोगों को एल्टीट्यूड सिकनेस ज्यादा होती है.
-ज़्यादा तकलीफ़ होती है.
-ऐसे लोगों को ख़ासकर बचकर रहना चाहिए.
बचाव और इलाज
-अगर आप ऊंचाई वाली जगहों पर जाने का प्लान कर रहे हैं और आपको कई बीमारियां हैं तो जाने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.
-अपना हेल्थ चेकअप ज़रूर करवाएं.
-एकदम से बहुत ज़्यादा ऊंचाई वाली जगह पर न जाएं.
-अपने सफ़र को 2-3 टुकड़ों में बाटें.
-कोशिश करें कि बीच-बीच में रेस्ट करें.
-अगर सफ़र के दौरान ऐसा लगता है कि आपकी तबियत बिगड़ रही है, तकलीफ़ हो रही है.
-तो तुरंत सफ़र को रोकें.
-आसपास जगह ढूंढकर रेस्ट करें.
-अगर मुमकिन हो तो कम ऊंचाई की जगह पर जाकर रिलैक्स करें.
-जब पूरी तरह से ठीक हो जाएं तो उसके बाद ही अपनी यात्रा शुरू करें.
-अगर तबियत बिगड़ रही है तो तुरंत मेडिकल सुविधा लें.
-अगर ज़्यादा सांस फूल रही है तो अपना ऑक्सीजन चेक करें.
-क्योंकि कई बार पेशेंट को ऑक्सीजन देना पड़ता है.
-कई प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं.
अगर आप ऊंचाई वाली जगहों पर जाने का प्लान कर रहे हैं और आपको कई बीमारियां हैं तो जाने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें
-अगर मरीज़ को लक्षण आ रहे हैं माउंटेन सिकनेस के तो कई बार पेन किलर दिए जाते हैं.
-साथ ही कुछ टैबलेट दी जाती हैं.
-जैसे एसेटाज़ोलामाइड.
-कुछ स्टेरॉयड भी दिए जा सकते हैं.
-फॉस्फोडिएस्टरेज़ इनहिबिटर दवाइयां भी दी जाती हैं.
-लेकिन ये दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
-अगर मरीज़ की तबियत ज़्यादा बिगड़ रही है.
-बेहोशी हो रही है.
-ज़्यादा सांस फूल रही है.
-रेस्पिरेटरी फेलियर हो रहा है.
-कार्डियक प्रॉब्लम हो रही है.
-तो इस केस में आसपास किसी मेडिकल टीम से तुरंत संपर्क करें.
-अस्पताल में भर्ती करवाएं.
ऊंचाई पर दिल की बीमारियों से ग्रसित लोगों की तबियत बिगड़ने का क्या कारण है
-दिल के मरीज़ों को ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रुरत है.
-कोई दिल का मरीज़ ज़्यादा ऊंचाई वाली जगह पर जा रहा है.
-तो ऑक्सीजन की कमी के कारण दिल को ज़्यादा काम करना पड़ता है.
-ज़्यादा से ज़्यादा ब्लड पंप करना पड़ता है.
अगर ज़्यादा सांस फूल रही है तो अपना ऑक्सीजन चेक करें
-ताकि शरीर को ज़्यादा से ज़्यादा ऑक्सीजन सप्लाई कर सके.
-अगर किसी को दिल की बीमारी है.
-दिल कमज़ोर है तो उस केस में हार्ट फेलियर हो सकता है.
-फेफड़ों में पानी भर सकता है.
-जिससे मरीज़ को कार्डिक अरेस्ट हो सकता है.
-जान जा सकती है.
दिल के मरीज़ किस तरह की एहतियात बरतें
-पहाड़ों पर जाने से पहले ध्यान दें, अगर तबियत ठीक नहीं लग रही हो तो आगे यात्रा न करें.
-साथ में मेडिकल हेल्पलाइन नंबर ज़रूर रखें.
-सांस के मरीज़ हैं तो छोटा ऑक्सीजन सिलिंडर साथ रखें.
-बीमारियों के लिए दवाइयां लेते हैं तो उन्हें ज़रूर साथ रखें.
-टाइम पर दवाइयां लेते रहें.
इमरजेंसी में क्या कर सकते हैं?
-इमरजेंसी होने पर या तबियत बिगड़ने पर तुरंत मेडिकल टीम से संपर्क करें.
-अगर साथ में ऑक्सीजन सिलिंडर है तो तुरंत उसकी मदद से ऑक्सीजन लें.
-कोशिश करें कि तुरंत कम हाइट वाली जगह पर जाएं.
-किसी अस्पताल में तुरंत ख़ुद को भर्ती करवाएं.
अगर आप ज़्यादा ऊंचाई वाली जगहों की सैर करने का प्लान बना रहे हैं तो डॉक्टर साहब की बताई गई बातों का ज़रूर ख्याल रखें. अगर सफ़र के दौरान तबियत ठीक नहीं लग रही है .