वाह हिमाचल! संतरे के छिलकों को उबालकर बना डाला डीजल, IIT के शोधकर्ताओं का कमाल

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मंडी : आईआईटी मंडी (IIT MANDI) के शोधकर्ताओं ने संतरे के सूखे छिलकों को वैज्ञानिक तकनीक से उबालकर बायो डीजल बनाने में सफलता हासिल की है। शोध करने वालों में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज (School of Basic Sciences) के एसोसिएट प्रोफेसर डा. वेंकट कृष्णन, छात्रा तृप्ति छाबड़ा और प्राची द्विवेदी शामिल हैं। शोध ’ग्रीन केमिस्ट्रिी’ जर्नल (Green Chemistry Journal) में प्रकाशित हो गया है। शोध के बारे में डॉ . वेंकट कृष्णन ने बताया कि पानी के साथ बायोमास, संतरे के छिलकों (Orange Peels) को गर्म करके प्राप्त होता है। इसे हाइड्रो थर्मल कार्बोनाइजेशन (Hydrothermal Carbonization) प्रक्रिया कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने बायोमास से प्राप्त रसायनों को बायोफ्यूल प्रीकर्सर में बदलने के लिए बतौर उत्प्रेरित संतरे के छिलके से प्राप्त हाइड्रो चार का उपयोग किया है।

सूखे संतरे के छिलके के पाउडर को नाइट्रिक एसिड के साथ हाइड्रोथर्मल रिएक्टर (लैब ‘प्रेशर कुकर’) में कई घंटों तक गर्म किया। इससे उत्पन्न हाइड्रोचार को अन्य रसायनों(Chemical) के साथ ट्रीट (Treat) किया गया ताकि इसमें एसिडिक सल्फोनिक, फॉस्फेट और नाइट्रेट फंक्शनल ग्रुप शामिल हो जाये। इसी प्रकार से बायो डीजल (Bio Diseal) का उत्पादन किया है, जो ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।शोध में शामिल रही तृप्ति छाबड़ा ने बताया कि ईंधन अग्रदूत (fuel precursor) पैदा करने के लिए तीन प्रकार के उत्प्रेरकों का उपयोग लिग्नोसेल्यूलोज से प्राप्त कम्पाउंड 2-मिथाइलफ्यूरन और फ़्यूरफ़्यूरल के बीच हाइड्रॉक्सिलके लाइज़ेशन एल्केलाइज़ेशन (lysation alkylation of hydroxyl) प्रतिक्रियाओं के लिए किया गया।

वैज्ञानिकों ने सल्फोनिक कार्यात्मक हाइड्रोचार (Hydrochar) कैटलिस्ट को इस प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने में प्रभावी पाया, जिससे अच्छी मात्रा में बायोफ्यूल प्रीकर्सर पैदा हो सकता है। आईआईटी मंडी का यह शोध देश में जैव ईंधन उद्योग ( biofuel industry) के लिए शुभ संकेत है। दीगर है कि हाल के वर्षों में भारत बायोमास (Biomass) से बिजली बनाने में अग्रणी देश बन गया है। 2015 में भारत ने बायोमास, छोटे जल विद्युत संयंत्र और कचरे से ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से 15 जीडब्ल्यू बिजली पैदा करने के लक्ष्य की घोषणा की। पांच वर्षों के भीतर देश ने 10 जीडब्ल्यू बायोमास बिजली उत्पादन (GW Biomass Power Generation) का लक्ष्य हासिल कर लिया है।