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देश के किसान अब खेती में खुद से नये प्रयोग करने लगे हैं इसके अलावा नयी नयी चीजों की खेती कर रहे हैं. किसान अब नयी किस्म को फल सब्जी और फसलो की खेती कर रहे हैं. फसलों में आजकल काले गेहूं और काले धान की खेती की तरफ किसानों का झुकाव हुआ है क्योंकि इससे बेहतर कमाई होती है. देश में गेहूं की कई प्रजातियां मौजूद हैं. इसमें कुछ प्रजाति रोग प्रतिरोधक हैं तो कुछ का उत्पादन अधिक होता है, हालांकि इनके बीज एक जैसे रहते हैं काला गेंहू का बीज अपने नाम के अनुरुप काला रहता है.
बाजार में है मांग
कोरोना महामारी ने लोगों को स्वस्थ खानपान की आदत डाल दी है. इसलिए खानपान की आदतों में बदलाव आया है. कालां गेंहू में सामान्य गेहूं की आकार का होता है, पर इसमें कई औषधीय गुण मौजूद है इसके कारण बाजार में इसकी मांग खूब है. सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं से होने वाले फायदे काला गेहूं दिखने में काले या बैंगनी रंग के होते हैं, पर इसके गुण सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक होते है.
साधारण गेहूं से कितना अलग
काले गेहूं में एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होती है इसके कारण यह काला दिखाई देता है. सफेद गेंहू में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है. काले गेंहू में एंथ्रोसाइनीन (एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है , जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है .
काले गेहूं की बुवाई कब करें
काले गेहूं की खेती भी रबी मौसम में की जाती है, हालांकि इसकी बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. काले गेहूं के लिए नमी बेहद जरूरी होता है. नवम्बर के बाद काले गेहूं की बुआई करने पर पैदावार में कमी आती है.
काले गेंहू की खेती में खाद
काले गेंहू की खेती में जिंक और यूरिया को खेत में डालें. डीएपी जालने के लिए ड्रिल का इस्तेमाल करें. गेहूं की बुवाई करते समय प्रति एक खेत में 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश और 10 किलो जिंक सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए. फिर पहली सिंचाई के समय व60 किलो यूरिया डालना चाहिए.
सिंचाई
काले गेंहू की पहली सिंचाई बुवाई के तीन हफ्ते बाद करें. इसके बाद समय समय पर सिंचाई करते रहे हैं. बालियां निकलने से पहले और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करें. काले गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट नाबी ने विकसित किया है.