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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में एक अजीब ममला सामने आया है। पति ने कोर्ट के सामने गुहार लगाई है कि उसकी पत्नी उसे खुलेआम नपुंसक बोलती है। इसपर अदालत ने कहा कि अपने पति को दूसरों के सामने नपुंसक कहना और उन्हें इस तरह से नीचा दिखाना मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में ऐसे ही एक मामले में पति को तलाक देते हुए निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। जजों ने कहा कि यह पाया गया है कि पत्नी का अपने पति को दूसरों के सामने अपमानित करना और उन्हें नपुंसक कहना और उनके दाम्पत्य जीवन के बारे में रिश्तेदारों के सामने बातें करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।
क्या है मामला समझिए
दिल्ली हाई कोर्ट में एक कपल या कहें शादीशुदा जोड़े से जुड़ा मामला सामने आया था। दोनों ने कोर्ट में अर्जी दी थी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी को कुछ परेशानियां थीं जिस वजह से उनके बच्चे नहीं हो पाए। डॉक्टरी जांच में भी यही पता चला। इसके बावजूद, पत्नी ने बच्चे ना होने का दोष अपने पति पर मढ़ दिया। अर्जी में बताया गया है कि साल 2011 में शादी के बाद, हर कपल की तरह, यह कपल भी अपना परिवार बढ़ाना चाहता था। बाद में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते, उनका प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं हो सका और उन्हें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) का सहारा लेना पड़ा।
पत्नी सबके सामने कहने लगी पति को नपुंसक
दुर्भाग्य से, दो बार IVF कराने के बाद भी उन्हें बच्चा नहीं हुआ, जिसकी वजह से उनकी शादीशुदा जिंदगी में परेशानियां आने लगीं। पति का आरोप था कि बिना किसी वजह के उनकी पत्नी ने उन्हें उनके माता-पिता, बहनों और दूसरे रिश्तेदारों के सामने ‘नपुंसक’ कहकर उनका अपमान किया। अदालत ने कहा, ‘पत्नी ने बार-बार पति पर झूठा इल्जाम लगाया कि वो नपुंसक हैं, जबकि वो पूरी तरह से स्वस्थ थे और दांपत्य जीवन जीने में सक्षम थे।’
पत्नी ने लगाया झूठा आरोप
पत्नी ने हालांकि पति के आरोपों से इनकार किया है लेकिन दावा किया कि उसे दहेज उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। अदालत को उनके दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई ‘मजबूत सबूत’ पेश नहीं किए गए हैं। वह यह साबित नहीं कर पाई हैं कि उनके पति या उनके परिवार के सदस्यों ने ऐसा कोई व्यवहार किया जिससे यह पता चलता हो कि दहेज कम लाने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया गया था।
यह सिर्फ मानसिक क्रूरता मान सकती है…
कोर्ट ने पाया कि IVF की दो असफल कोशिशों के बाद, पत्नी नाराज हो गई और अपने मायके चली गई। अदालत ने कहा कि अक्टूबर 2013 से अब तक पत्नी की ओर से बिना किसी वजह के एकतरफा दांपत्य जीवन से अलग हो जाना और इस तरह पति को सुखी वैवाहिक जीवन से वंचित रखना, सिर्फ क्रूरता मानी जा सकती है।