हरियाणा मे क्रूरता की सारी हदे पार: याद कर दहल जाता है इकबाल, बोला- पता नहीं जिंदा कैसे बच गया?

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करनाल। करनाल के घरौंडा के गढ़ी भरल गांव में शुक्रवार को किसान इकबाल के साथ बर्बरता हुई। तीन आरोपितों ने उसे पेड़ पर उल्टा लटकार चार घंटे तक पीटा। करंट लगाया। इस क्रूरता को याद कर इकबाल सिहर जाता है। अस्‍पताल में भर्ती इकबाल की आंखों में इस घटना का खौफ देखा जा सकता है। उसका कहना है कि चार घंटे बर्बरता सही। पता नहीं कैसे बच गया?

क्या पता था कि जिनके यहां काम करके परिवार का गुजारा हो रहा है, वहीं इतना दर्द देंगे। मैं चीखता रहा कि कोई चोरी नहीं की लेकिन वे हैवानियत की हदें पारकर पीटते रहे। कभी पानी में डुबोते तो कभी कपड़ा मुंह पर रख देते। डंडों-बिंडों व थप्पड़ से पीटकर मन नहीं भरा तो रस्से से बांधा और उल्टा करके पेड़ पर लटका दिया। कुछ देर बाद होश नहीं रहा। आंख खुली तो अस्पताल में था…।

उस रोज नवाब सुबह करीब साढ़े पांच बजे मेरे घर पहुंच गया और कहा कि धान रोपाई के लिए खेत तैयार करना है। मैं बाइक पर सवार हो गया और मजदूरी करने वाला राजू भी साथ हो गया। खेत में उसके भाई इकराम और भतीजा आरिफ खड़े थे। बाइक से उतरते ही सभी मुझ पर झपट पड़े और कहा कि ट्रैक्टर की लिफ्ट क्यों चोरी की ? मैं गिड़गिड़ाकर बताता रहा कि मैंने चोरी नहीं की मगर उन्होंने एक न सुनी। पिटाई के दौरान करंट भी लगाया। उनके इरादे देख सहम गया। लग रहा था कि मौैत का वक्त करीब है लेकिन जिंदा कैसे बच गया, समझ नहीं पाया…।

भाई को उल्टा लटका देख फट गया कलेजा : गफूर
उपचाराधीन इकबाल की देखरेख कर रहे बड़े भाई गफूर का कहना था कि चचेरे भाई जुबेर ने सूचना दी कि इकबाल के साथ मारपीट की जा रही है। आनन-फानन में वह दूसरे भाई तैयब को लेकर वहां पहुंचा तो उसे पेड़ पर बेसुध हालत में उल्टा लटका देख कलेजा फट गया। उम्मीद नहीं थी कि वह बच जाएगा। उन्होंने आरोपितों से कहा कि इकबाल ने लिफ्ट चोरी की है तो वे हर्जाना भर देते लेकिन ऐसी दरिंदगी क्यों की। यह सुन आरोपित उन पर भी भड़कने लगे। अन्य स्वजन व ग्रामीण पहुंचे तो वे फरार हो गए।

आरोपितों ने सुजा दिए पैरों के तलवे
गफूर का कहना है कि पुलिस ने पेड़ से उतारकर उसे घरौंडा स्वास्थ्य केंद्र और फिर कल्पना चावला राजकीय अस्पताल भेजा। वहां से ट्रामा सेंटर भेज दिया। आरोपित नवाब, इकराम, आरिफ व राजू ने उसके पांव के तलवे पीट-पीट कर सुजा दिए। वे तीनों भाई मजदूरी से गुजारा करते हैं। ट्रामा सेंटर में बेड नंबर 36 पर उपचाराधीन चार बच्चों का पिता इकबाल नवाब के पास करीब 20 दिन पहले ही मजदूरी करने लगा था। उसे करीब 1800 रुपये मजदूरी के तौर पर लेने हैं।