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शिमला: पंजाब-हरियाणा से रेत व बजरी लेकर हिमाचल आने वाली गाड़ियों को भी अब यहां आकर टैक्स देना पड़ेगा। पंजाब की तर्ज पर अब प्रदेश सरकार ने भी बाहरी राज्यों से भवन निर्माण सामग्री पर सेस लगाने की ठान ली है। हालांकि इसका असर लोगों की जेब पर ही होगा, लेकिन सरकार को भी कुछ राजस्व मिलने की उम्मीद है। उद्योग विभाग के खनन विंग ने सैस वसूली की अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यह निर्णय सोमवार को उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया। प्रदेश सरकार पंजाब व हरियाणा से रेत-बजरी पर 6-10 रुपए क्यूबिक फिट के हिसाब से टैक्स वसूल करेगी। पंजाब हिमाचल से जानी वाली गाड़ी से 6 रुपए क्यूबिक फिट के हिसाब से टैक्स वसूलता है। हिमाचल से सीमेंट, सब्जी, अनाज अथवा अन्य सामान लेकर बाहरी राज्यों को जाने वाले ट्रक, टिपर व पिकअप, वापसी में मैदानी क्षेत्रों से ईंट, रेत व बजरी भरकर लाते हैं।
अभी तक इन पर किसी तरह का टैक्स नहीं था क्योंकि प्रदेश में अभी भी यह ऑर्गेनाइज्ड बिजनेस नहीं बन पाया है। गाड़ी वाले बाहरी राज्यों से भवन निर्माण सामग्री लाकर जहां-तहां इसे बेच देते हैं, जिनका कोई लेखा-जोखा भी नहीं रखा जाता। ऐसे में सरकार को इस धंधे से कोई आमदनी नहीं हो रही थी। रॉयल्टी की चोरी रोकने और फॉर्म डब्ल्यू.एक्स के सरलीकरण के लिए इसे एम-परिवहन पोर्टल से जोड़ा जाएगा। लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि संबंधित विभागों को भी इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इससे अवैध खनन पर रोक लगेगी और राजस्व को पहुंच नुकसान से बचा जा सकेंगे।
विभाग ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा अवैध खनिजों की निकासी के लिए उपयोग में लाई जा रही निजी भूमि की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजस्व विभाग द्वारा इनका सीमांकन पूर्ण होते ही अवैध खनन गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।