लखनऊ। वह दिन दूर नहीं, जब लोगों को गांव से ही शहर जाने-आने के लिए रोडवेज बसें उपलब्ध होंगी। इसके लिए पूर्व में हुए सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अनुबंधित बसों के संचालन को मंजूरी मिल गई है। इसके तहत 13 शहरों के सटे ग्रामीण इलाकों के लिए बसें चलेंगी। लखनऊ से सटे 86 और कानपुर के 50 गांवों को बस सेवा मुहैया कराने की मंजूरी छह मार्च को मिल गई है। इसके लिए निजी ऑपरेटरों से अनुबंध का टेंडर जारी हो चुका है। टेंडर के मुताबिक जैसे-जैसे बसों का अनुबंध होता जाएगा, वैसे-वैसे बसें चिन्हित ग्रामीण इलाकों से संचालित होने लगेंगी।
गांव-गांव बस पहुंचाने के लिए अनुबंधित बस योजना 2023 पर तेजी से काम शुरू हो गया है। इसके तहत कम से कम 40 से 100 किमी. दायरे में बसें चलेंगी। इन चिन्हित रूटों पर रोडवेज अपनी बसें नहीं चलाएगा। सर्वे में 676 गांवों के लिए 988 बसों की जरूरत बताई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक लेन की सड़कें होंगी, वहां 28 सीटर मिनी बसें और दो लेन सड़कों पर 40 सीटर बसें चलाने की योजना है। यह बसें शहर से ग्रामीण क्षेत्रों में तहसील और ब्लॉक तक चलेंगी। इनमें एमएसटी के जरिए भी यात्रा की सुविधा मिलेगी।
इन शहरों के गांवों तक जल्द पहुंचेंगी बसें
लखनऊ से सटे 86 गांव के अलावा कानपुर के 50, हरदोई के 108, बनारस के 72, आगरा के 25, अलीगढ़ के 26, बरेली के 95, गाजियाबाद के 28, झांसी के 32, मुरादाबाद के 34, मेरठ के 59 और इटावा क्षेत्र के 45 मार्गों पर अनुबंध पर रोडवेज बसें चलाने की मंजूरी मिली हैं।
लखनऊ परिक्षेत्र क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि उन गांवों को बस सेवा से जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी गई है, जहां तक बसें नहीं चलती थी। छह मार्च को लखनऊ सहित 13 शहरों के बीच अनुबंधित बसें चलाने की मंजूरी मुख्यालय स्तर से दे दी गई है। टेंडर के जरिए निजी ऑपरेटर से अनुबंध पर बसें संचालित होंगी। 90 दिन के भीतर सभी चिह्नित इलाकों के बीच रोडवेज की अनुबंधित बस सेवाएं चलने लगेंगी।