पहले अतीक और अब मुख्तार…इस तरह एक साल में पूर्वांचल में आतंकवाद के दो अध्याय खत्म

First Atiq and now Mukhtar...this is how two chapters of terrorism end in Purvanchal in one year
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में ही दो माफिया डॉन अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के आतंक का अध्याय समाप्त हो गया. इन दोनों को ही यूपी में खौफ का दूसरा नाम कहा जाता था. अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का अपने-अपने इलाके में ऐसा दबदबा था कि बिना इनकी मर्जी के वहां कोई पत्ता भी नहीं हिलता था.

अतीक अहमद का जहां दक्षिणी यूपी (प्रयागराज और आसपास) में काफी प्रभाव था वहीं पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के इशारे पर ही हर काम होता था. हालांकि यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद अब दोनों का ही अंत हो चुका है. अतीक अहमद की जहां बीते साल अस्पताल ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी वहीं जेल में बंद मुख्तार अंसारी की तबियत बिगड़ने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत

दरअसल गुरुवार की रात यूपी के बांदा जेल में बंद पूर्व विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की जेल में अचानक तबियत बिगड़ गई थी. शाम करीब साढ़े 8 बजे मुख्तार अंसारी को उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वॉर्ड लाया गया. लेकिन इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) से उसकी मौत हो गई.

रात करीब साढ़े दस बजे प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की थी जिसके बाद पूरे यूपी में पुलिस को हाई अलर्ट कर दिया गया. बता दें कि इससे पहले भी मुख्तार अंसारी की जेल में तबियत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उन्हें स्टूल न होने की समस्या थी. उस वक्त डॉक्टरों ने उनका इलाज कर फिर से जेल भेज दिया था लेकिन दूसरी बार उनकी जान नहीं बच पाई. मुख्तार अंसारी ने मौत से करीब एक हफ्ते पहले कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उसे धीमा जहर दिया जा रहा है.

कैसे हुई थी अतीक अहमद की हत्या

अतीक अहमद की हत्या बीते साल अप्रैल महीने में हुई थी. दरअसल उमेश पाल की हत्या के मामले में पुलिस ने बीते साल अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को रिमांड पर लिया था. प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात करीब 10 बजे पुलिस अतीक और उसके भाई को जब मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लेकर जा रही थी उसी वक्त पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों अरुण मौर्या, सनी और लवलेश तिवारी ने दोनों भाइयों को गोलियों से छलनी कर दिया.

ये तीनों हमलावर रिपोर्टर बनकर पहले पुलिस के काफिले के नजदीक पहुंचे और जैसे ही अतीक और उसके भाई अशरफ ने मीडिया से बात करना शुरू किया उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. जिस समय यह हमला हुआ था उस वक्त 19 पुलिसकर्मी अतीक अहमद और अशरफ की सुरक्षा में तैनात थे लेकिन फिर भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.