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दरभंगा। बिहार के दरभंगा जिले में एक ऐसा ट्रक पकड़ा गया है, जिसकी बॉडी पर शराब विरोधी नारे लिखे हुए थे, लेकिन अंदर लाखों रुपए की शराब पड़ी हुई थी. पुलिस को एक ऐसे वाहन को जब्त करने में सफलता मिली है, जिसके पीछे लिखा था कि आज हो या कल शराब पीकर मत चल.
लेकिन हो रहा था ठीक उसके उल्टा.
दरभंगा के प्रभारी एसएसपी अशोक कुमार ने मीडिया को बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि रात के अंधे में शराब से भरी ट्रक पेपर मिल थाना क्षेत्र से शिवपुर गांव के गैस गोदाम के पास पहुंची है. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूरे मामले की जांच की. पुलिस को पता चला कि रात के अंधेरे में माफिया एक ट्रक से दूसरे छोटे वाहनों पर शराब लोड कर रहे हैं, ताकि अलग-अलग इलाकों में सप्लाई किया जा सके. एसएसपी ने तुरंत इसकी सूचना अशोक पेपर मिल के पड़ोस वाले थाने को दी. जैसे ही वहां पुलिस पहुंची, तस्कर ट्रक छोड़कर भाग खड़े हुए.
मौके पर पहुंची पुलिस ने ट्रक के अलावा एक पिकअप वाहन और बाइक के साथ भारी मात्रा में शराब जब्त की है. पुलिस शराब माफिया की तलाश में जुट गई है. इस दौरान पुलिस ने देखा कि जब्त वाहनों की बॉडी पर शराब विरोधी नारे लिखे हुए थे. एसएसपी ने बताया कि कुल एक हजार 700 लीटर से ज्यादा विदेशी शराब की जब्ती की गई है. हालांकि मौके से सभी आरोपी फरार हैं. पुलिस ने ऐसे वाहनों को जब्त करने के लिए स्पेशल टीम का गठन कर दिया है. खासकर उन वाहनों को ज्यादा जांच किया जा रहा है, जिसके उपर शराब विरोधी नारे लिखे गए हैं.
गौरतलब है कि बिहार के दरभंगा को शराब तस्करों ने सॉफ्ट टारगेट बना रखा है. अभी हाल में ही दरभंगा के मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से पुलिस ने भारी मात्रा में शराब बरामद किया था. उसके बाद वहां के तत्कालीन एसएसपी बाबूराम ने कई तस्करों को गिरफ्तार किया था. दरभंगा में नेपाल सहित राज्य के सटे हुए इलाकों से भारी मात्रा में रोजाना शराब आने की खबर के बाद पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है.
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार हुए 40 आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के खिलाफ बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई करने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की एक नहीं सुनी. सुप्रीम कोर्ट ने उल्टे सरकार से पूछा कि हाईकोर्ट ने दो साल पहले आरोपियों को जमानत पर बाहर करने का आदेश दिया तो सरकार अब तक क्या कार्य रही? चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार की ओर से 11 जनवरी के आदेश को और स्पष्ट करने की अर्जी खारिज कर दी थी. अदालत ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के तहत दर्ज मुकदमों में 40 से ज्यादा आरोपियों को जमानत पर रिहा करने की पुष्टि की थी.
सीजेआई की पीठ ने बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान साफ कहा कि हम अपने आदेश को न तो वापस लेने जा रहे हैं और ना ही इसमें किसी भी तरह का संशोधन करने. आरोपियों को दो साल से भी पहले जमानत पर रिहाई का आदेश हाई कोर्ट ने दे दिया था. आप अब चाहते हैं कि हम हस्तक्षेप करें! राज्य सरकार की ऐसी किसी भी याचिका पर विचार करने की हमारी इच्छा नहीं हैं. दरअसल बिहार सरकार की ओर से देरी के लिए सफाई वाली दलील देते हुए वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा था कि 11 जनवरी के आदेश का निषेध कानून के तहत अन्य अभियुक्त भी हवाला दे सकते हैं जिससे इस अधिनियम की सख्ती नरम और असर कम हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की एक नहीं सुनी.