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समाज में आज भी लड़के और लड़कियों को लेकर एक अलग ही रीत चली आ रही है। यदि घर में बेटा पैदा होता है तो खुशी का माहौल होता है। वही बेटी के आ जाने से आज भी कई घरों में मातम छा जाता है और यदि परिवार के एक ही घर में 3 से 4 बेटियां हो तो फिर उस घर के लोगों को चैन से जीना ही मुश्किल हो जाता है।जहां आसपास के लोग ताने देते हैं तो वही कई वंश बढ़ाने की बात करते हैं। इसके अलावा भी माता पिता को बेटा न होने पर कई ताने सुनने को मिलते है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक बेटी अपने पिता का वंश आगे बढ़ाने के लिए लड़की से लड़का बन गई। आइए जानते हैं इस लड़की की कहानी..
बता दें, 20 की उम्र की आशा (बदला हुआ नाम) पांच बहने हैं। इनमें से सबसे बड़ी बहन ने अपने माता-पिता की ख्वाहिश पूरी करने के लिए खुद का जेंडर चेंज करवा दिया और वह लड़की से लड़का बन गई। रिपोर्ट की माने तो मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल मेडिकल हॉस्पिटल में आशा का जेंडर चेंज करवाया। उन्होंने खुद अपनी कहानी को साझा किया है।आशा ने कहा कि, “बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते मेरा कर्तव्य रहा है कि मैं घर की हर जिम्मेदारी निभाऊं। इसलिए मुझे अपनी पहचान बदलनी पड़ी है। मैं नहीं चाहती थी कि हमारा हंसता-खेलता परिवार बिखरे या टूटे।
तब मुझे लड़की का जिस्म छोड़कर लड़का बनना पड़ा। बेशक मैं एक लड़की पैदा हुई थी, लेकिन अब मुझे तन और मन की लड़की को मारकर एक लड़के की तरह जीना है। मैं इसमें खुश हूं क्योंकि आज मेरे मां-बाप को बेटा और बहनों को भाई मिल चुका है.”इसके आगे उन्होंने बताया कि, “हर बार मेरे घर बहन पैदा होती रही, भाई नहीं आया। लोग दहेज की बात कहकर हमें बोझ बताते। कोई कहता वंश नहीं चलेगा तो मम्मी-पापा बहुत दुखी होते, क्योंकि उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ते थे।रिश्तेदार भी घर आकर मम्मी को ताने मारते। तानों तक ठीक था, लेकिन जब पापा की दूसरी शादी की बात घर में होने लगी तो मेरा डर बढ़ने लगा। इन बातों से मम्मी और हम सभी बहनें सहम जाते।
मैं सोचती पापा ने हमें छोड़ दिया तो हम कहां जाएंगे। कैसे जिएंगे, लेकिन पापा हमसे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए कभी उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी। हम बहनें भी दिनरात भगवान से प्रार्थना करती कि हमारे घर कोई भाई आ जाए। मैंने अपनी सहेलियों से भी पूछा कि वो अपना भाई मुझे दे दें। कई संस्थाओं में तलाशा कहीं एक बेटा मम्मी-पापा को मिल जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
पिता ने लड़का बनने पर किया था विरोध
आशा ने बताया कि, “लगभग डेढ़ साल पहले मुझे जेंडर चेंज सर्जरी का पता चला। एक दिन मैंने मम्मी-पापा के लिए तय किया कि अब मैं पूरा बेटा बनूंगी। मैंने खुद मम्मी-पापा को इसके बारे में बताया, पहले उन्होंने इंकार किया। बोले कि ये गलत है, हम तुझे नहीं खो सकते। तब मैंने कहा मैं तो अभी भी लड़कों जैसे रहती हूं, पूरा लड़का बनने में हर्ज क्या है। काफी दिनों की बातचीत के बाद मम्मी-पापा ने समझा, हम तीनों ने मेरे जेंडर चेंज का फैसला लिया और प्रशासन की परमिशन लेकर ये सर्जरी कराई। अब मैं पूरा लड़का हूं, और अपने घर का अकेला बेटा हूं।”
रिपोर्ट के माने तो आशा को लड़का बनने के लिए करीब 5 महीने की प्रोसेस चली। इस दौरान उसे लड़का बनने वाले हार्मोन्स की दवाई दी गई ताकि उसे लड़कों जैसी दाढ़ी मूछ आ सके और मर्दों की आवाज में बात कर सके। इसके अलावा उसके हाथों को भी लड़कों की तरह बनाया गया जिसके लिए करीब 8 घंटे तक सर्जरी चली। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी आशा अपने पिता की वंश को आगे नहीं बढ़ा सकती, क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि वह लड़की से लड़का तो बन गई लेकिन कभी उसके घर संता न पैदा नहीं होगी। यानी कि आशा के लड़का बनने के बाद भी उसके पिता का वंश नहीं बढ़ पाएगा।