अभी अभीः यूपी में इस बडे नेता की अचानक हुई मौत, गम में डूबे लोग, घर पर जुटी भीड

Abhi Abhi: Sudden death of this big leader in UP, people immersed in grief, crowd gathered at home
Abhi Abhi: Sudden death of this big leader in UP, people immersed in grief, crowd gathered at home
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गोरखपुर। Harishankar Tiwari Passed Away: दशकों तक पूर्वांचल की सियासत में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी का मंगलवार को निधन हो गया। 88 साल की उम्र में गोरखपुर स्थित आवास (हाता) में उन्‍होंने अंतिम सांस ली। कल उनका अंतिम संस्‍कार होगा।

हरिशंकर तिवारी की गिनती यूपी के कद्दावर नेताओं में होती थी। एक जमाने में वह पूर्वांचल के सबसे बड़े बाहुबली नेता माने जाते थे। उनके निधन की सूचना से समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। हाता पर बड़ी संख्‍या में लोग जुटने लगे हैं। हरिशंकर तिवारी लम्‍बे समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे। वह अस्‍वस्‍थ चल रहे थे।

पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शाम को तबीयत बिगड़ने पर डॉक्‍टरों की टीम ने हाता पहुंचकर हरिशंकर तिवारी की चिकित्‍सकीय जांच की। शाम साढ़े छह बजे के करीब उन्‍होंने अंतिम सांस ली।हरिशंकर तिवारी 1997 से 2007 के बीच पांच सरकारों में मंत्री रहे। वह पूर्वांचल की ब्राह्मण सियासत का अहम चेहरा रहे। पहली बार वह गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायकी जीते थे।

कांग्रेस में इंदिरा गांधी के जमाने जेल से निर्दलीय चुनाव जीत कर उन्होंने इतिहास रच दिया था। इसके बाद उनका सियासी सफर कई दशक तक जारी रहा। इस दौरान वह कल्याण सिंह से लेकर मायावती और मुलायम सिंह यादव की सरकार तक मंत्री रहे।

राजनीति में सक्रिय है परिवार
हरिशंकर तिवारी किसी जमाने में पूर्वांचल के बाहुबली कहे जाते थे। 80 के दशक में पूर्वांचल से हरिशंकर तिवारी का नाम पूरे देश में चर्चित हुआ था। उनके बेटे भीष्‍म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी सांसद और विनय शंकर तिवारी विधायक रहे हैं। वर्तमान में विनय समाजवादी पार्टी में हैं। हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर तिवारी उत्‍तर प्रदेश विधानपरिषद के सभापति रहे हैं।

कई दलों के नेता पहुंचे
उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में हरिशंकर तिवारी के सम्‍बन्‍ध सभी दलों में थे। उनके निधन की सूचना पाकर गोरखपुर स्थित उनके आवास ‘हाता’ पर विभिन्‍न दलों के नेता और कार्यकर्ता पहुंचे हैं। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, राज्‍यसभा सदस्‍य डा.राधा मोहन दास अग्रवाल, गोरखपुर की पूर्व मेयर डा.सत्‍या पांडेय सहित विभिन्‍न दलों के कई नेताओं ने हाता पहुंचकर अपनी शोक संवेदना व्‍यक्‍त की।

अखिलेश यादव ने जताया दुख

पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के निधन पर समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दुख जताया है। सपा प्रमुख ने अपने ट्वीट में लिखा- ‘पूर्व मंत्री श्री हरिशंकर तिवारी जी का निधन, अत्यंत दुखद! ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक संतप्त परिवार को यह असीम दुख सहने की शक्ति प्रदान करे। भावभीनी श्रद्धांजलि!’

हरिशंकर तिवारी के सियासी सफर पर डालें एक नज़र
गोरखपुर के बड़हलगंज के टांड़ा गांव में छह अगस्‍त 1934 को जन्‍मे हरिशंकर तिवारी का छह बार चिल्‍लूपाल विधानसभा से विधायक रहे। इस दौरान सूबे में सत्‍ता चाहे कल्‍याण सिंह की हो या मुलायम सिंह यादव की, हरिशंकर तिवारी का प्रभाव कभी कम नहीं हुआ। वह अगल-अलग सरकारों में अलग-अलग विभागों के मंत्री रहे।

1998 में पहली बार बने थे मंत्री
हरिशंकर तिवारी 1998 में कल्‍याण सिंह की सरकार में पहली बार मंत्री बने थे। इसके बाद वह राम प्रकाश गुप्‍त सरकर और राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्रिमंडल के सदस्‍य रहे। मायावती और मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी 2003 से 2007 के बीच वह यूपी में मंत्री रहे। उस दौर में हर सरकार के मंत्रिमंडल में हरिशंकर तिवारी का नाम शामिल रहता था। 1998 में कल्‍याण सिंह की सरकार में उन्‍हें साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी मंत्री बनाया गया था। रामप्रकाश गुप्‍ता सरकार में वह स्‍टांप रजिस्‍ट्रेशन मंत्री रहे।

2007 में पहली बार हारे चुनाव
हरिशंकर तिवारी 2007 में पहली बार चिल्‍लूपार से चुनाव हारे। पूर्व पत्रकार राजेश त्रिपाठी ने उन्‍हें पराजित किया तो पूर्वांचल के बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी ताज्‍जुब में पड़ गए। 2012 में दोबारा हार मिलने के बाद हरिशंकर तिवारी ने चिल्‍लूपार की अपनी राजनीतिक विरासत बेटे विनय शंकर तिवारी को सौंप दी।