शादी के 80 साल बाद महज 5 घंटे के अंतराल में दंपति ने त्यागे प्राण, एक ही चिता पर साथ गये

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अजमेर के सबसे बुजुर्ग दंपति का निधन: शादी के बंधन में बंधने के बाद साथ जीने और मरने की कसम सब खाते हैं लेकिन कुदरत इसे निभाने का मौका कुछ ही लोगों को देती है. ऐसा ही एक बुजुर्ग जोड़ा (Oldest couple) अजमेर में सामने आया है. अजमेर के कालेड़ी गांव में जब 105 साल के पति की मौत हुई तो उसके पांच घंटे बाद ही 101 साल की पत्नी ने भी साथ निभाते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया. इस बुजुर्ग दंपति के निधन से गांव में शोक की लहर है.

दोनों का एक ही चिता पर किया गया अंतिम संस्कार
ग्रामीणों ने इस दंपति को अटूट प्रेम की मिसाल बताया
अजमेर. कहते हैं जन्म-मरण और परण सबकुछ तय होता है. इसमें किसी का कोई जोर नहीं चलता है. कई बार ऐसे वाकये होते हैं जो सभी को अचंभित कर देते हैं. इस बार कुछ ऐसा ही हुआ है राजस्थान के अजमेर (Ajmer) जिले के श्रीनगर कस्बे के कालेड़ी गांव में. यहां 105 साल के बुजुर्ग पति और उनकी 101 साल की पत्नी (Oldest couple) का जोड़ा मिसाल बन गया. यह जोड़ा अपनी शादी के बाद 80 साल तक साथ रहा. दोनों का एक दूसरे के प्रति लगाव इतना गहरा था कि तीन दिन पहले महज पांच घंटे के अंतराल में दोनों का निधन हो गया. पहले पति ने दुनिया छोड़ी तो पत्नी गुमशुम हो गई और उनके निधन के पांच घंटे बाद ही उसने भी प्राण त्याग दिये. दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया.

जानकारी के अनुसार श्रीनगर कस्बे के कोलड़ी गांव का यह जोड़ा पहले भी चर्चा का विषय था और निधन के बाद भी सुर्खियों में बना हुआ है. यह जोड़ा है भैंरू सिंह रावत और उनकी पत्नी हीरादेवी. रावत के परिजनों के मुताबिक दोनों की शादी 80 साल पहले हुई थी. दोनों में एक दूसरे के प्रति गहरा लगाव थे. यह जोड़ा अपने 70 वर्षीय पुत्र शंकर के साथ रहते था. तीन दिन पहले गुरुवार को दोनों ने एक साथ दुनिया को गुड बॉय कह दिया.

तीन दिन पहले पांच घंटे के अतंराल में त्यागे प्राण
ग्रामीण बताते हैं कि दोनों ने अपना जीवन सादगी से जिया. दोनों खेती-बाड़ी के काम मिलजुल कर करते थे. भैंरू सिंह खेती-बाड़ी के काम के बाद गांव में ही परचून की दुकान करने लगे थे. 6 साल पहले भैंरू सिंह को लकवा आ गया था. गुरुवार को शाम 4 बजे अचानक भैंरू सिंह का निधन हो गया. पत्नी हीरादेवी पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वे गुमशुम हो गईं. पति भैंरू सिंह के निधन के महज पांच घंटे बाद ही हीरादेवी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.

दंपति की गाजे बाजे के साथ बैकुंठी निकाली गई
उनके निधन के अगले दिन शुक्रवार को दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले कालड़ी गांव में दोनों की अंतिम यात्रा गाजे बाजे के साथ शुरू हुई. दोनों की बैकुंठी निकाली गई. बैकुंठी को माला और गुब्बारों से सजाया गया. 70 वर्षीय पुत्र शंकर ने माता-पिता को एक ही चिता पर मुखाग्नि दी.

दोनों को एक ही चिता पर देखकर ग्रामीणों की आंखें हुईं नम
दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार देखकर शमशान पहुंचे लोगों की आंखें नम हो गई. ग्रामीणों ने उनके घर पहुंचकर दोनों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. ग्रामीणों ने इसे अटूट प्रेम की मिसाल बताया है. अंतिम यात्रा में कलेड़ी और नाथा खेड़ा सहित आसपास के गांव के ग्रामीण मौजूद रहे. बुजुर्ग दंपति का एक ही दिन देहांत होना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.