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जब इंसान के साथ कुछ अच्छा या बुरा होने वाला होता है तो उसे पहले से ही कुछ-कुछ समझ आने लगता है। कुछ सकेंत ऐसे होते हैं जो हमें आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार करते है। मृत्यु से पहले भी इंसान को कुछ ऐसे संकेत मिलने लगते हैं जिससे उसे यह लगने लगता है कि मौत अब उसके बहुत करीब आ चुकी है।
सबसे पहले तो जैसे-जैसे इंसान अपनी मौत के निकट पहुंचता है वह अपनी नाक को देखने में असमर्थ होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मौत से पहले इंसान की आंखें ऊपर की ओर मुड़ने लगती है। इसके साथ ही व्यक्ति और मौत के बीच जब दूरियां घटने लगती है तो उसे आसपास सन्नाटा महसूस होने लगता है। ऐसा लगने लगता है जैसे कि मानों चारों ओर का वातावरण सुन्न हो गया हो।
मौत के कुछ क्षण पहले व्यक्ति को आसमान का चांद खंडित नजर आने लगता है। उसे ऐसा लगता है जैसे कि चांद में कई दरार आ गई हो। इंसान का जब धरती पर उसकी समयावधि खत्म होने लगती है तो उस दौरान उसे अपने पास मृत परिजनों के होने का एहसास होने लगता है। वह उन्हें देख सकता है, महसूस कर सकता है।
यदि किसी को सपने में उजड़ा हुआ गांव या उल्लू दिखाई देता है तो वह धरती से जल्द ही जाने वाला होता है। मौत की दहलीज पर खड़े व्यक्ति के शरीर से एक अजीब सी गंध आने लगती है। इसके साथ ही उसकी नाक, मुंह और जीभ पत्थर की तरह सख्त हो जाते हैं।
मौत के समीप आने पर इंसान की परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है। यहां तक पानी में भी वह अपनी परछाई को देख पाने में असमर्थ रहता है। मौत इंसान की जिंदगी का अंत है। किसी जिंदगी का खत्म होना कोई छोटी बात नहीं होती है और शायद प्रकृति उसे इस परिस्थिति का सामना करने के लिए इन संकेतों के माध्यम से तैयार करती है।