अक्षय तृतीया का व्रत कैसे किया जाता है? पढ़ें

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हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ और खास माना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण कई तरह के शुभ कार्य किए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया हर साल वैशाक मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल मिलता है। यह तिथि दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों के लिए बेहद अनुकूल होती है। परंपराओं के अनुसार, इस दिन सोना खरीदा जाता है। कहते हैं कि इस दिन सोना खरीदने से यह पीढ़ियों के साथ बढ़ता है। इस साल मई 14 2021 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।

अक्षय तृतीया का व्रत कैसे किया जाता है?

अक्षय तृतीया का व्रत महिलाएं अपने और परिवार की समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। शांत मन से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप, अगरबत्ती और चंदन आदि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

अक्षय तृतीया कब से कब तक है?

शुभ मुहूर्त: 14 मई को सुबह 5:38 बजे से शुरू होकर 15 मई 2021 को सुबह 07:59 बजे तक रहेगी।

अक्षय तृतीया के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 03:57 ए एम, मई 15 से 04:40 ए एम, मई 15 तक।
प्रातः सन्ध्या- 04:18 ए एम, मई 15 से 05:22 ए एम, मई 15 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:38 ए एम से 12:32 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:19 पी एम से 03:13 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:34 पी एम से 06:58 पी एम तक।
अमृत काल- 10:47 पी एम से 12:35 ए एम, मई 15 तक।
निशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:26 ए एम, मई 15 तक।

अक्षय तृतीया को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा-
अक्षय तृतीया को लेकर भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा से एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा इसी दिन श्रीकृष्ण के द्वार उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए था। भेंट के रूप में सुदामा के पास केवल एक मुट्ठी भर पोहा ही था। श्रीकृष्ण से मिलने के बाद अपना भेंट उन्हें देने में सुदामा को संकोच हो रहा था किन्तु भगवान कृष्ण ने मुट्ठीभर पोहा सुदामा के हाथ से लिया और बड़े ही चाव से खाया। सुदामा श्रीकृष्ण के अतिथि थे, श्रीकृष्ण ने उनका भव्य रूप से आदर-सत्कार किया। ऐसे सत्कार से सुदामा बहुत ही प्रसन्न हुए किन्तु आर्थिक सहायता के लिए श्रीकृष्ण ने कुछ भी कहना उन्होंने उचित नहीं समझा और वह बिना कुछ बोले अपने घर के लिए निकल पड़े। जब सुदामा अपने घर पहुंचें तो दंग रह गए। उनके टूटे-फूटे झोपड़े के स्थान पर एक भव्य महल था और उनकी गरीब पत्नी और बच्चें नए वस्त्र और भूषण पहने थे। सुदामा को यह समझते देर न लगी कि यह उनके मित्र और विष्णु अवतार भगवान कृष्ण का ही आशीर्वाद है। यही कारण है कि अक्षय तृतीया को धन-संपत्ति की लाभ प्राप्ति से भी जोड़ा जाता है।