पत्नी को ‘भूत’ ‘पिशाच’ कहना क्रूरता नहीं, हाईकोर्ट ने पति को दी राहत

Calling wife 'ghost' or 'vampire' is not cruelty, Patna High Court gives relief to husband
Calling wife 'ghost' or 'vampire' is not cruelty, Patna High Court gives relief to husband
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Patna High Court Verdict: पति-पत्नी के रिश्तों में अनबन के मामले कई बार घर की चहारदीवारी से निकलकर कोर्ट तक पहुंच जाते हैं. ऐसे ही एक मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने फैसला देते हुए अहम टिप्पणी की. पटना हाईकोर्ट ने आईपीसी के सेक्शन 498A के तहत पति पर लगे क्रूरता के आरोपों को रद्द कर दिया. इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी को ‘भूत’ और ‘पिशाच’ कहना क्रूरता नहीं है. आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है.

पटना हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भूत’ और ‘पिशाच’ वाले इस मामले पर जस्टिस बिबेक चौधरी की सिंगल बेंच ने फैसला दिया है. पटना हाईकोर्ट ने नालंदा मजिस्ट्रियल कोर्ट के फैसले को पलट दिया. पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में पति नरेश कुमार गुप्ता और ससुर सहदेव गुप्ता को जमानत दे दी है.

पति पर क्या था आरोप

जान लें कि नरेश कुमार गुप्ता की शादी 1 मार्च, 1993 को हिंदू रीति-रिवाजों से ज्योति के साथ हुई थी. इसके अगले साथ ज्योति के पिता कन्हैया लाल ने एक केस नरेश कुमार गुप्ता और उनके पिता सहदेव गुप्ता के खिलाफ दर्ज कराया. ज्योति के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को ससुराल में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. बेटी के ससुराल वालों ने ऐसा दहेज के रूप में कार पाने के लिए किया.

पति-ससुर को मिली राहत

हालांकि, हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट में पाया कि कोई भी ऐसा मेडिकल दस्तावेज नहीं मिला है जिससे साबित होता हो कि ज्योति को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया है. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने नालंदा मजिस्ट्रियल कोर्ट के निर्णय को पलट दिया. नरेश गुप्ता और उनके पिता सहदेव गुप्ता को इस मामले में राहत दे दी.

भूत-पिशाच कहना क्रूरता नहीं

जस्टिस बिबेक चौधरी ने याचिकाकर्ता की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि 21वीं शताब्दी में किसी पुरुष की तरफ से पत्नी को भूत-पिशाच कहना मेंटल टॉर्चर है. इसपर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पति-पत्नी कई बार एक-दूसरे के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इसे क्रूरता के दायरे में नहीं लाया जा सकता है.