हरियाणा में एकजुट होगा चौटाला परिवार, BJP से गठबंधन टूटने के बाद बदले सुर

Chautala family will unite in Haryana, tune changed after breaking alliance with BJP
Chautala family will unite in Haryana, tune changed after breaking alliance with BJP
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चंडीगढ़: हरियाणा में भाजपा के साथ साढ़े चार साल पुराना गठबंधन टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी (जजपा) संकट में घिर गई है। अब उसके लिए अपना वजूद बचाना बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसे में जजपा नेताओं के सुर बदलने लगे हैं। लिहाजा, हरियाणा के चौटाला परिवार के एक होने की बातें शुरू हो गई हैं। जजपा सुप्रीमो अजय चौटाला ने एक बयान में कहा है कि अगर ओम प्रकाश चौटाला (पिताजी) कहेंगे तो हम एक हो सकते हैं लेकिन पहल ओम प्रकाश चौटाला को ही करनी होगी, अगर वह कल ही बुला लें तो हम कल ही तैयार हैं। हालांकि इनैलो के राष्ट्रीय महासचिव और अजय सिंह चौटाला के भाई अभय सिंह चौटाला ने कई बार यह टीस जाहिर की है कि अगर हम एक होते और बिखराव नहीं होता तो प्रदेश में हमारी सत्ता होती।

अकेले चलने की राह अब आसान नहीं

इनेलो ने कुरूक्षेत्र और हिसार को छोड़कर अभी अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। वहीं, जजपा ने एक भी सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग छिड़ी नजर आती है। अब सवाल उठता है कि क्या यह परिवार एक हो सकता है। राजनीति में कुछ भी संभव है। किसी समय परिवार को एक करने के लिए बादल परिवार की तरफ से भी प्रयास हुए लेकिन बात नहीं बनी थी। इनेलो और जजपा पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल की नीतियों को लेकर ही आगे बढ़ने का दावा करती आई है, जिस तरह दुष्यंत और दि​ग्विजय की अपने चाचा अभय चौटाला के साथ जुबानी जंग चलती आ रही है, तो क्या ऐसे हालात में यह परिवार एक हो सकता है। वैसे जिस तरह जजपा को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उस हालात में अजय सिंह चौटाला समझ गए हैं कि अकेले चलने की राह अब आसान नहीं रहेगी।

जजपा प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह ने जजपा छोड़ी

इंडियन नेशनल लोकदल से बिखराब के बाद बनी जननायक जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले एक और बड़ा झटका लगा है। जजपा ने अभी लोकसभा प्रत्याशियों की घोषणा तक नहीं कीलेकिन जजपा प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने पार्टी सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला को फोन करके मौखिक रूप से अपना इस्तीफा दे दिया। निशान सिंह के कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

दिसंबर 2018 में जजपा बनने के साथ ही उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। 2021 और 2023 में जजपा के पूरे संगठन में फेरबदल हुआ, लेकिन निशान सिंह को हर बार प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। जजपा के भी करीब पांच वर्षों तक प्रदेशाध्यक्ष बने रहे। पार्टी से अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए उन्होंने बताया कि भविष्य को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। हलके के लोगों और पुराने साथियों के साथ विचार-विमर्श करके जल्द ही राजनीतिक फैसला लिया जाएगा। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कार्यशैली पर सवाल भी उठाए हैं।

कई बार रिश्तों में दरारें आ जाती हैं

निशान सिंह ने कहा, “प्यार, दोस्ती और राजनीतिक पार्टियों में कई बार रिश्तों में दरारें आ जाती हैं। मैंने पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ पार्टी के साथ काम किया। कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दिया। कई बार हालात ऐसे होते हैं और हालात की वजह से ही ऐसे कदम भी उठाने पड़ते हैं। मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दूंगा। इस मामले में विस्तृत बातचीत अपना राजनीतिक फैसला करने के बाद ही करूंगा।” उन्होंने कहा कि वे जल्द ही अजय चौटाला से मुलाकात करके अपना लिखित इस्तीफा भी देंगे।

भाजपा-जजपा गठबंधन के सूत्रधार भी होंगे भाजपा में शामिल

वहीं, नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन एवं जजपा की राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी ने भी सोमवार को जजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी व जननायक जनता पार्टी के बीच गठबंधन के सूत्रधार बने मीनू बैनीवाल भी अब 10 अप्रैल को भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। सोमवार को उन्होंने भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर दिया। मीनू बैनीवाल 10 अप्रैल को सिरसा के कालांवाली में एक रैली का आयोजन करने जा रहे हैं। इस रैली में मुख्यमंत्री नायब सैनी व पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। इसी रैली में मीनू बैनीवाल अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होंगे।