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आगरा। देर से शादी और संतान उत्पत्ति से महिलाएं अनचाही बीमारी की शिकार हो रही हैं। 40 फीसदी महिलाएं यूरिन लीक से परेशान हैं। दिक्कत बढ़ने के बाद डॉक्टरों को दिखा रही हैं, जिससे ऑपरेशन कारगर नहीं है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइनेकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट और आगरा ऑब्स एंड गाइनी सोसाइटी कार्यशाला में डॉक्टरों ने ये व्याख्यान दिए। 20 ऑपरेशन भी हुए, जिनके सजीव प्रसारण से चिकित्सकों ने नई तकनीकी समझी।
फतेहाबाद रोड स्थित होटल में इंडियन मीनोपॉज सोसाइटी की सचिव डॉ. रागिनी अग्रवाल ने बताया कि यूरिन लीक की 35-40 फीसदी मरीज हैं। झिझक के कारण महिलाएं इसे छिपाती हैं। प्लेटलेट्स इंजेक्ट करने, लेजर और इलेक्ट्रोमैग्नेट चेयर से नॉन सर्जिकल इलाज किया जा रहा है।
आगरा आब्स एंड गाइनी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. सुषमा गुप्ता ने कहा कि औसतन 29 साल की उम्र में पहला बच्चा हो रहा है। शादी-संतान के लिए बेहतर आयु 22-24 साल है। अधिक उम्र में बच्चेदानी कमजोर होने से दिक्कत पनपती है।
कार्यशाला में डॉ. संजय पाटिल, डॉ. बी. रमेश, अमेरिका के डॉ. गैरी मारकस, ब्राजील के डॉ. रितेन रिब्रेरो, डॉ. सरोज सिंह, डॉ. रिचा सिंह, डॉ. पूनम यादव, डॉ. रुचिका गर्ग, डॉ. वैशाली टंडन, डॉ. शिखा सिंह, डाॅ. अनुपम गुप्ता, डॉ. सविता त्यागी, डॉ. गार्गी गुप्ता आदि रहीं।
डॉक्टरों ने किए 30 मरीजों के ऑपरेशन
संयोजक डॉ. अमित टंडन ने बताया कि कार्यशाला के पहले दिन 30 ऑपरेशन हुए हैं। इसमें बार-बार पेशाब आना, बच्चेदानी का मुंह खोलने, बार-बार गर्भपात आदि के मामले रहे। अमेरिका, इटली, ब्राजील के चिकित्सकों ने ऑपरेशन किए। एसएन कॉलेज के गेस्ट्रो सर्जन डॉ. हिमांशु यादव ने दूरबीन विधि से आंत काटकर जोड़ने का प्रशिक्षण दिया।