Latest Viral News: “जिंदगी यूं हुई बसर तन्हा, काफिला साथ और सफर तन्हा”… गुलजार की लिखीं ये लाइनें उस दर्द को बयां करती है, जिसे अकेला रहने वाला महसूस करता है. फिर चाहे वो आदमी हो या जानवर, तन्हाई हर किसी को डसती है. अकेला रहना किसी को भी अच्छा नहीं लगता, कम से कम कुछ समय पहले तक पाकिस्तान के चिड़ियाघर में बंद एक हाथी को देखकर तो यही कहा जा सकता है. आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी.
1985 में श्रीलंका से आया था पाकिस्तान
पाकिस्तान में इस्लामाबाद के चिड़िया घर में करीब 2 साल पहले कावन नाम का हाथी बंद था. इसकी उम्र करीब 37 साल थी. इस हाथी को श्रीलंका ने साल 1985 में पाकिस्तान को गिफ्ट में दिया था. 2012 में कावन की पार्टनर सहेली की मौत हो गई. पार्टनर के जाने के बाद वह अकेला हो गया. वह उस चिड़ियाघर में अकेला एशियन हाथी बचा था. अकेलेपन की वजह से वह सुस्त रहने लगा. वह कोई भी गतिविधि नहीं करता था. वह न ठीक से खाता था और न सोता था.
पाकिस्तान में मानसिक रूप से था परेशान
एक्सपर्ट बताते हैं कि पाकिस्तान के चिड़ियाघर में वह शारीरिक दिक्कतों के साथ ही मानसिक रूप से भी परेशानी उठा रहा था. उसे वहां पर ठीक से खाना नहीं दिया जाता था. इसके अलावा कोई साथी न होने की वजह से उसे पार्टनर की याद भी तंग करती थी.
लोगों ने चलाया था मुहिम
कावन के इस हाल को देखकर कई पशु प्रेमियों ने अभियान चलाया. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और कोरोना के समय में उसे पाकिस्तान की चिड़ियाघर से कंबोडिया भेजा गया. जब उसे फ्लाइट से कंबोडिया ले जाया जा रहा था तो वह काफी एंजॉय कर रहा था. वह फ्लाइट में खाना खा रहा था. उसने अच्छी नींद भी ली.
कंबोडिया पहुंचकर हो गया फिट
कंबोडिया पहुंचकर रिकवर होने में उसे कुछ दिन लगे, लेकिन धीरे-धीरे वह ठीक होने लगा. अब कावन को नई जिंदगी मिल गई है. वह कंबोडिया के वन्यजीव अभयारण्य में मस्त जिंदगी जी रहा है. वह जमकर मस्ती करता है. उसके मस्ती वाले वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. कावन को मस्ती करते देख इसे लेकर परेशान होने वाले लोग भी काफी खुश हैं.