कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकली मादा चीता आशा, वन विभाग के कर्मचारियों की फूली सांस

Female cheetah Asha came out of Kuno National Park, breathlessness of forest department employees
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श्योपुर: ऐसा मालूम पड़ रहा है कि चीतों को कूना का पर्यावास रास नहीं आ रहा है। मादा चीता आशा एकबार फिर कूनो नेशनल पार्क की सीमा से निकलकर आजाद हो गई है। वन विभाग के सूत्रों की मानें तो आशा शिवपुरी माधव राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश कर गई है। उसकी लोकेशन शिवपुरी वन रेंज में पाई गई है। आशा काफी समय तक पेड़ की छांव में आराम करती नजर आई। मादा चीता आशा के कूनो नेशनल पार्क छोड़ने की खबर जैसे ही लगी अधिकारियों के होश उड़ गए। आलम यह है कि कूनो नेशनल पार्क की एक ट्रैकिंग टीम आशा के पीछे पीछे चल रही है।

मालूम हो कि आशा के पहले चीता पवन भी कुनो नेशनल पार्क से बाहर निकल कर ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाता था। पवन ने कई दिनों शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में अपना डेरा जमाया था। परेशानियों से बचने और चीते की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की टीम ने नर चीते पवन को अभी भी बड़े बाड़े में कैद कर के रखा है। मादा चीता आशा की निगरानी के लिए कूनो नेशन पार्क की एक ट्रैकिंग टीम उसके पीछे ही चल रही है। इस टीम की मदद के लिए माधव राष्ट्रीय उद्यान की एक टीम वहां सुबह से मौजूद है।

नर चीता पवन की तुलना में आशा कम दूरी तय कर रही है। आशा आराम अधिक कर रही है जबकि, पवन ने पांच दिन में ही 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर ली थी। उसने सुरवाया क्षेत्र में ग्रामीणों के एक मवेशी का भी शिकार किया था। पार्क के अधिकारियों की मानें तो आशा का स्वभाव थोड़ा शांत है। वह धीमे-धीमे आगे बढ़कर माधव नेशनल पार्क पहुंची है। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो अधिकांश चीता रात में ही यात्रा करना पसंद करते हैं। चीता दिन में ठंडी या आरामदायक जगह देखकर अपना समय व्यतीत करते हैं।

मालूम हो कि इससे पहले नर चीते गौरव और शौर्य की जोड़ी भी कूनो नेशनल पार्क के जंगल से निकलकर रिहायशी गांवों के आसपास देखी जा चुकी है। यह स्थिति तब है, जब महज 7 चीतों को ही बाड़े से कूनो के खुले जंगल में छोड़ा गया है। बचे 11 चीतों को खुले जंगल में रिलीज करने के बाद स्थिति बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है। सूत्रों की मानें तो चीतों के लिए कम पड़ती जगह को देखते हुए वन विभाग ने जरूरी कदम उठाने शुरू किए हैं।

कूनो के अधिकारी पवन को बड़े बाड़े में कैद रखने को लेकर चिंतित हैं। अधिकारियों का कहना है कि पवन को स्ट्रेस हो सकता है। चीतों को बाडे़ में रखने के लिए नहीं लाया गया है। चीतों को एक महीने से ज्यादा समय तक बाडे़ में रखना उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। अकेले पवन और आशा ही ऐसे चीते नहीं हैं जो कूनों के बाहर घूम फिर रहे हैं। गौरव और शौर्य की जोड़ी भी कूनो नेशनल पार्क के जंगल से निकलकर टिकटोली और मोरवन गांव के आसपास देखी जा चुकी है। गौरव और शौर्य दोनों एक साथ खुश रहते हैं। वे बहुत ज्यादा भागदौड़ करना और बाहर आना-जाना कम पसंद करते हैं।